Morena : कांग्रेस अपना घर नहीं संभाल सकी, संभाल लेती तो ये स्थिति न होती – उमा भारती

Gaurav Sharma
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मुरैना, संजय दीक्षित। दिमनी विधानसभा उपचुनाव के बीजेपी प्रत्याशी गिर्राज डंडोतिया की आमसभा में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा की भगवान से प्रार्थना करती हूं कि जैसे राम ने रावण को मारा था उसी प्रकार से भगवान कोरोना महामारी का भी संघार करें। मुझे जब कोरोना हुआ तब उसकी वजह से एम्स में भर्ती होना पड़ा। तो पार्टी ने मुझसे कहा था कि आप चुनाव प्रचार में आ जाएं,लेकिन में अस्वस्थ थी। ठीक होने के बाद भी में जनता से काफी दूर रह रही हूँ। आप मेरे को ही गिर्राज दंडोतिया समझिए। मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि कांग्रेस अपना घर नहीं संभाल सकी। अगर काँग्रेस अपना घर संभाल लेती तो यह स्थिति नहीं होती।

कांग्रेस ने उस नौजवान की इज्जत नहीं की जिसकी वजह से ग्वालियर चंबल संभाग में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया था और वह नौजवान ऐसे परिवार का था जिसने भारतीय जनसंघ की नीव को मजबूत किया था। राजमाता जन संघ में शामिल हुई और कांग्रेस को ध्वस्त कर दिया। कांग्रेस को ध्वस्त करने की सजा ऐसी मिली कि उन्हें ढाई साल जेल में रखा गया और पागल स्त्रियों के साथ भेज दिया गया। उनसे कहा गया कि अगर आप लिखित में माफी मांग लेंगी तो आप को जेल से निकाल देंगे।

राजमाता ने कहा कि में जेल जाने के लिए तैयार हूं लेकिन माफी नहीं मांगूंगी। उन्होंने ही भारतीय जनसंघ को मजबूती दी और भारतीय जनता पार्टी को मजबूत किया। कभी भी सत्ता की आकांक्षा नहीं रखी में करीब 6 साल से उनके संपर्क में रही जो उनकी बेटियों के पास सुख सुविधा थी, उन्होंने मुझको भी दी। ज्योतिरादित्य मेरे भतीजे हैं। इस नौजवान की बदौलत कांग्रेस की सरकार बनी उनको उनका सम्मान करना चाहिए था। लेकिन जिसने बंटाधार किया, उसकी उन्होंने बात मानी।

कांग्रेस के विधायकों ने ही कांग्रेस की सरकार गिरायी , हमने नही गिरायी हैं। हम लोग ऐसी प्रवृत्ति के नही है ।एक कहावत हैं कि सावन हरे न भादों सूखे। जब शुरु-शुरु में सरकार बनती है तो हमारे अधिकतर कार्यकर्ता अपनी ही सरकार की बुराई करते है क्योंकि उनका स्वभाव है कि गलत काम हो रहा है। तो सबके सामने बोल दो क्योंकि संघर्षशील होना ही प्रकृति में है। इसलिए हमने कांग्रेस की सरकार नहीं गिरायी है।

आप अपने विधायकों को नहीं संभाल सके अगर कमलनाथ ने इस्तीफा नहीं दिया होता तो विधानसभा में फ्लोर टेस्टिंग हुई थी तो करीब 30-40 एमएलए कांग्रेस के विधानसभा के अंदर बैठे थे। जो इधर से उधर होने वाले थे। इसलिए भगवान की दुआ से कांग्रेस की इज्जत बच गई और कमलनाथ की भी इज्जत बच गई।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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