मप्र की अंतिम विधानसभा सीट जावद में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की और कांग्रेस से पीसीसी चीफ कमलनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। मुख्यमंत्री चौहान ने भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में 17 नवंबर को धाकड़ वोट को पक्ष में करने के लिए आमसभा भी कर दी। वहीं कांग्रेस से अभी तक किसी बड़े नेता ने क्षेत्र में दौरा नहीं किया।
नीमच। श्याम जाटव।
जिले की जावद सीट पर भाजपा को चुनाव जीतने में पसीना आने लगा और यहीं कारण है कि धाकड़ वोट को लुभाने के लिए मुख्यमंत्री चौहान को रतनगढ़ में आमसभा करने आने पड़ा। भाजपा के सामने धाकड़ समाज के निर्दलीय कांग्रेस के बागी प्रत्याशी समंदर पटेल मैदान में है और इस समाज के करीब 40 हजार मतदाता है। भाजपा के परंपरागत वोट माने जाते है। इस बार समीकरण उलटे है। पटेल के चुनाव में खड़े होने से भाजपा को नुकसान की ज्यादा संभावना हैं।
-भाजपा के लिए चुनौती
जानकारी के अनुसार कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार अहीर को कमलनाथ ने टिकट दिलाया। इसलिए यहां से पार्टी की जीत प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी है। अहीर का प्रचार जोर पकडऩे लगा है और इसी आहट से घबराकर भाजपा ने मुख्यमंत्री चौहान की सभा कराई। जानकारों का मानना है कि तीन बार से विधायक ओमप्रकाश सखलेचा की ऐसी क्या मजबूरी थी की मुख्यमंत्री को बुलाना पड़ा। यह सीट मुख्यमंत्री चौहान और कांग्रेस के नाथ के लिए नाक का सवाल बन गई हैं।
-जनता चाहती है बदलाव
अंदरखाने की चर्चा है विधायक व प्रत्याशी सखलेचा से भाजपा का ओबीसी वर्ग नाराज है और इसमें धाकड़ समाज ज्यादा है। इस समाज की लोगों की दुकानें तुड़वाने से आक्रोश है। इसके अलावा 15 साल से क्षेत्र में रोजगार के लिए कोई काम नहीं करने की वजह से अन्य लोग भी असंतुष्ट है। इस वजह से सब तरफ लोग बदलाव की बात कह रहे है। सबसे ज्यादा कांग्रेस के अलावा निर्दलीय प्रत्याश्ी पटेल से डर है। पटेल ने भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगा दी।
-यहां परिवाद से उब गए
भाजपा से पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरेंद्र कुमार सखलेचा 5 बार विधायक रहे है और 15 साल से बेटा ओमप्रकाश सखलेचा है। अब चौथी बार भी प्रत्याशी है। दूसरा कारण है पार्टी ने केवल एक ही परिवार पर भरोसा किया अन्य समाज के व्यक्ति को टिकट नहीं दिया। इस वजह से एंटी इंकंमबेंसी हैं। दिलचस्प बात है कि कांग्रेस प्रत्याशी अहीर दो चुनाव हारने के बाद भी क्षेत्र में सक्रिय रहकर लोगों के काम किए। इस वजह से बाजी पलट सकती है और पहली बार कांग्रेस की एकजुटता से भाजपा में बैचेनी है।
-सोशल मीडिया पर तीसरे नंबर पर सखलेचा
विधायक सखलेचा को चुनाव की दौड़ में सोशल मीडिया पर तीसरे नंबर पर बताया जा रहा है। पहले नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार अहीर और दूसरे पर कांग्रेस से बगावत करने वाले निर्दलीय समंदर पटेल। सखलेचा के बारे में लोगों का कहना है कि 15 साल तक कोई विकास नहीं किया। जावद की जनता बदलाव चाहती है। यहां पर रोजगार के कोई नए अवसर पैदा नहीं किए।
-मुख्यमंत्री को हराया था जनपद दो अध्यक्ष ने
पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरेंद्र कुमार सखलेचा को 1972 में कांग्रेस के जावद जनपद पंचायत अध्यक्ष स्वर्गीय कन्हैयालाल नागोरी और 1985 में चुन्नीलाल धाकड़ ने को पराजित किया। नागोरी और धाकड़ ने जनपद अध्यक्ष रहते हुए मुख्यमंत्री सखलेचा को हराया था।