रीवा।
मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार अंतिम चरण में पहुंच चुका है। 28 नवंबर को वोटिंग से पहले बीजेपी और कांग्रेस समेत दूसरे दलों ने प्रचार में अपनी जान फूंक दी है। इस बार राज्य के प्रमुख दल बीजेपी और कांग्रेस को कई सीटों पर तीसरे मोर्चे से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है। वहीं, पहली बार चुनावी मैदान में उतरे आम आदमी पार्टी, गोंगपा और सपाक्स जैसे दल भी प्रमुख दोनों दलों की नाक में दम करने से बाज नहीं आएंगे। यही वजह है कि इस बार यूपी से सटे मध्य प्रदेश के रीवा सीट पर संकट के बादल नजर आ रहे है।सालों से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है और कांग्रेस इस अभेद किले को भेदने की कोशिश मे लगी हुई है, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी बसपा कांग्रेस का खेल बिगाड़ने में लगी हुई है।
दरअसल, मध्य प्रदेश की रीवा विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है और यहां से राज्य सरकार में उद्योग मंत्री राजेंद्र शुक्ल विधायक हैं। इस सीट पर बसपा का अच्छा-खासा आधार है। यही वजह है कि कांग्रेस की राह में सबसे बड़ी रोड़ा बसपा बनी हुई है। 2003 में पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक पुष्पराज सिंह को हराकर राजेंद्र शुक्ल ने जीत हासिल की थी। इस बार भी भाजपा ने मंत्री शुक्ल पर भरोसा जताया है। वही कांग्रेस ने इस किले को हासिल करने अभय मिश्रा को मैदान में उतारा है। अभय मिश्रा नही है जो बीते दिनों कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे। राजनीति के मैदान में उन्हें बाहुबली और महत्वाकांक्षी दोनों माना जाता है। कभी गुरु-शिष्य की जोड़ी कहे जाने वाले अब आमने-सामने हैं। 15 साल से विधायक, मंत्री राजेंद्र शुक्ल को इस सीट पर बढ़त है लेकिन यहां के वोटरों की चुप्पी उन्हें भी परेशानी में डाल सकती है। दोनों प्रत्याशी ब्राह्मण होने के कारण सबसे बड़ा वोट शेयर बंट जाएगा।
वही इस सीट पर बसपा का भी अच्छा खासा दबदबा है, जो कांग्रेस के लिए हर बार मुसीबत बनती आई है।हर बार कांग्रेस के हार की वजह बसपा बनी है।रीवा में बीजेपी, कांग्रेस, बसपा के साथ-साथ निर्दलीय उम्मीदवार भी ताल ठोक रहे हैं। बीजेपी जहां अपना किला बरकरार रखने के जद्दोजहद कर रही है, वहीं, कांग्रेस इस सीट को फिर से हथियाने की फिराक में है। लेकिन बसपा की उसकी राह में सबसे बड़ी रोड़ा बनी हुई है।इस सीट पर भी सबसे ज्यादा ब्राह्मण आबादी है और सवर्ण आंदोलन का भी यहां ख़ासा प्रभाव देखा जा रहा है। इस सीट पर भी सवर्ण आंदलन काफी उग्र था और इसके चलते बीएसपी को फायदा होता नज़र आ रहा है।