दरअसल, पश्चिम बंगाल के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते के 2009 से एरियर के भुगतान में नया मोड आ गया है। कलकत्ता हाई कोर्ट के 3 महीने के अंदर बकाया डीए का भुगतान करने के आदेश के बाद अब सरकारी कर्मचारियों के दो संगठनों ने दो अलग-अलग कैवियेट दाखिल की।वही राज्य सरकार भी अब सुप्रीम कोर्ट का रूख करने वाली है, हालांकि इससे पहले कर्मचारियों संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में कैवियेट दाखिल कर दी है।इधर, आगामी चुनावों से पहले विपक्ष ने इस मुद्दे को लपकते हुए सरकार को घेरना शुरू कर दिया है और कहा है कि राज्य सरकार के कर्मचारियों का भत्ता केंद्र सरकार के कर्मचारियों के भत्ते से 31 प्रतिशत कम है।
दरअसल, बीते दिनों कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने डीए भुगतान फैसले पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया था। जस्टिस हरीश टंडन और जस्टिस रबींद्रनाथ सामंत ने 20 मई के आदेश पर फिर से विचार करने की राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी थी।वही हाई कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार को 3 महीनों के भीतर महंगाई भत्ते की बकाया रकम का भुगतान करने का आदेश दिया है।हालांकि, राज्य सरकार ने फैसले पर पुनर्विचार करने की याचिका के साथ उसी पीठ में एक समीक्षा याचिका दायर की, लेकिन खंडपीठ ने पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया और 22 मई को इस मामले में अपने पहले के आदेश को बरकरार रखा था।
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गौरतलब है कि राज्य प्रशासनिक अधिकरण (SAT) के एक आदेश को बरकरार रखते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट ने मई में पश्चिम बंगाल सरकार को तीन महीने के भीतर जुलाई 2009 से बकाया महंगाई भत्ते का भुगतान करने का निर्देश दिया था। राज्य सरकार ने SAT के जुलाई 2019 के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दाखिल की थी। एसएटी ने इस आदेश में राज्य सरकार को केंद्र के निर्देशों के अनुरूप DA देने और तीन किश्तों में बकाया रकम का भुगतान करने को कहा था। इस मामले में मूल याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में अदालत की अवमानना याचिका दायर की है। कोर्ट की अवमानना याचिका पर अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी। उन्होंने आरोप लगाया था कि प्राधिकारियों ने मई 2022 से तीन महीनों के भीतर DA का भुगतान नहीं किया है।