कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर, सैलरी से अलग मिलेंगे 10000 से 30000 तक रुपए, जानिए कैसे?

Pooja Khodani
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। 7th Pay Commission: केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। अगर आप सैलरी, प्रमोशन और महंगाई भत्ते के अलावा अलग से राशि चाहते है तो कुछ शर्ते पूरी करके इसका लाभ उठा सकते है।दरअसल, केंद्र सरकार ऊंची डिग्री हासिल करने वाले कर्मचारियों को प्रोत्साहन राशि देती है, पहले 10 हजार रुपए दिए जाते थे, लेकिन अब केन्द्र ने इसे दो गुना तक और बढ़ा दिया है, जिसके तहत PHD जैसी ऊंची डिग्री पाने वाले कर्मचारियों को अब 30,000 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।

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हाल ही में कार्मिक मंत्रालय (Ministry of Personnel) ने कर्मचारियों के लिए ऊंची डिग्री हासिल करने पर प्रोत्साहन राशि बढ़ाते हुए 20 साल पुराने नियमों में संशोधन किया है। पुराने नियमों के तहत अब तक नौकरी के दौरान उच्च डिग्री हालिस करने वाले कर्मचारियों को एकमुश्त 2000 रुपए से 10000 रुपए तक का प्रोत्साहन भत्ता (Incentive) दिया जाता था। साल 2019 से प्रोत्साहन राशि को न्यूनतम 2000 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए कर दिया गया, जिसे अब 2022 में 10000 हजार की राशि को बढ़ाकर 30 हजार रुपए कर दिया गया है।

इसके तहत अब केन्द्र सरकार पात्र सरकारी कर्मचारियों को सैलरी और भत्तों से अलग 30 हजार रुपए प्रोत्साहन के रूप में देगी।कार्मिक मंत्रालय के सर्कुलर के मुताबिक, 3 साल या इससे कम की डिग्री डिप्लोमा हासिल करने पर 10,000 , 3 साल से ज्यादा की डिग्री या डिप्लोमा हासिल करने पर 15000, 1 साल या कम की स्नातकोत्तर डिग्री/डिप्लोमा हासिल करने पर 20,000 , 1 साल से ज्यादा अवधि की स्नातकोत्तर डिग्री/डिप्लोमा लेने वाले कर्मचारियों को 25,000  और PHD या उससे समकक्ष योग्यता हासिल करने वालों को 30,000 रुपए दिए जाएंगे।

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लेकिन इस प्रोत्साहन राशि को पाने के लिए केन्द्रीय कर्मचारियों को कुछ शर्तों का पालन करना होगा ।कार्मिक मंत्रालय के निर्देशों में ये स्पष्ट किया गया है कि प्रोत्साहन राशि सिर्फ उन्हीं डिग्री या डिप्लोमा धारकों को दी जाएगी जो कर्मचारी के पद से जुड़े हों और उसके कामकाज से संबंधित हों। यह बदलाव साल 2019 से प्रभावी हैं। वही शुद्ध अकादमिक शिक्षा (academic education) या साहित्यिक विषयों पर उच्च योग्यता प्राप्त करने पर कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जाएगा  ।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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