TLM Employees Retirement Age, Employees Retirement Age Hike : देशभर में कर्मचारियों द्वारा सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाए जाने की मांग जारी है। बड़ी संख्या में कर्मचारी सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने के पक्षधर हैं और इसमें सरकार से लगातार वृद्धि की मांग कर रहे हैं। वहीं कई राज्य सरकार द्वारा 2022 23 में भी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु में 2 से 3 वर्ष का इजाफा किया गया था। इसी बीच एक बार फिर से कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिए हैं।
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य के मेडिकल कॉलेज में ट्विटर- लेक्चरर-मेडिकल ऑफिसर के पद पर कार्यरत पंजाब सिविल मेडिकल सर्विस अधिकारी की सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि नहीं की जाएगी। वह सेवानिवृत्ति आयु वृद्धि की पात्रता नहीं रखते है। पंजाब सिविल मेडिकल सर्विस कैडर के सदस्य की सेवानिवृत्ति आयु 58 वर्ष निर्धारित की गई है जबकि शिक्षण संकाय के सदस्यों के लिए 1979 के नियम के तहत सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष निर्धारित की गई है।
सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाकर 62 वर्ष किये जाने की मांग
याचिकाकर्ता की मांग थी कि उनके सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाकर 62 वर्ष किया जाए। हालांकि याचिकाकर्ताओं की तरफ से मिली दलील के बाद हाई कोर्ट ने स्पष्ट कहा है, याचिकाकर्ता यह साबित करने के लिए दस्तावेज प्रस्तुत करने में विफल रहे हैं कि टीएलएम यानी कि ट्विटर लेक्चरर और मेडिकल ऑफिसर को कभी भी शिक्षण संकाय के कैडर के सदस्य के रूप में मान्यता दी गई है। हाई कोर्ट ने कहा है कि नवंबर 2021 में मुख्य सचिव द्वारा नियुक्त उच्च अधिकार प्राप्त समिति द्वारा पारित मौखिक आदेश में तब तक हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता, जब तक कि अवैध था अनुचित या मनमानी से ग्रस्त आदेश ना हो।
हाई कोर्ट की टिपण्णी
दलील सुनने के बाद न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल ने पंजाबी मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी के रूप में कार्यरत एपीसीएमएस अधिकारियों द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है और आदेश पारित किया। जिसमें कहा गया है कि पीसीएमएस के कर्मचारी और अधिकारी सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि की पात्रता नहीं रखते। हालांकि यह डॉक्टर के रूप में कार्यरत है लेकिन 14 दिसंबर 2007 के संचार के आधार पर उन्होंने तबादले के माध्यम से व्याख्याता पद के लिए आवेदन किया था।
समिति गठित
इस मामले में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की आपत्ति पर याचिकाकर्ता और अन्य सामान स्थिति वाले डॉक्टर कोTLM के रूप में फिर से नामित किया गया था। दिसंबर 2013 को सरकार ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया था। जिसके तहत टीएलएम द्वारा अर्जित अनुभव को शिक्षण अनुभव के रूप में मान्यता दी गई थी और इसी के तहत कैडर को वरिष्ठता योग्यता के आधार पर पदोन्नति के लिए मान्य किया गया था। हालांकि सरकार के इस निर्णय पर आपत्ति देखने को मिली थी। जिसके बाद पंजाब के मुख्य सचिव ने पुनर्विचार के लिए वित्त कार्मिक और चिकित्सा शिक्षा सहित अनुसंधान विभाग के प्रमुख सचिवों की समिति गठित की थी।
कर्मचारियों को बड़ा झटका
वही 21 नवंबर 2019 को समिति द्वारा एक मौखिक आदेश जारी किया गया था। जिसमें कहा गया था कि यह डॉक्टर सभी उद्देश्य के लिए पीसीएमएस कैडर के सेवा नियम के अनुसार ही शासित होंगे। वही पंजाब सिविल सेवा नियम के अनुसार इनके सेवा में 2 साल का विस्तार किया गया। जिसके साथ ही अब TLM को 58 वर्ष की आयु तक सेवानिवृत्ति का लाभ दिया गया है। हालांकि उनकी मांग थी कि उनके रिटायरमेंट आयु को 4 वर्ष बढ़ाकर 62 वर्ष किया जाए। जिसे हाईकोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया है। ऐसे में कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा है।