EPFO, Higher Pension Update :ईपीएफओ ने खाताधारकों को बड़ी राहत दी है। दरअसल ज्यादा पेंशन के लिए अप्लाई करने की अंतिम तारीख को बढ़ाया गया है। अब 26 जून तक इसके लिए अप्लाई कर सकते हैं। इससे पहले समय सीमा को बढ़ाकर 3 मई तक किया गया था। अगर अब तक अपने हायर पेंशन के लिए अप्लाई नहीं किया है तो 26 जून तक इसका लाभ उठा सकते हैं।
मिल रही जानकारी के मुताबिक ईपीएफओ में ज्यादा पेंशन के लिए अप्लाई करने की समय सीमा बढ़ाने की गुजारिश की गई थी। अब तक 12 लाख कर्मचारी द्वारा हायर पेंशन के लिए आवेदन किया गया है। माना जा रहा है कि समय सीमा बढ़ने के बाद इस संख्या में भी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। उम्मीदवारों को आवेदन भरने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।ऐसे में कर्मचारियों को आवेदन भरते समय बेहद सावधानी रखनी होगी।
फार्मूले में बदलाव
पेंशन कैलकुलेशन को लेकर फिलहाल एक फार्मूला तैयार किया गया। इसके मुताबिक कर्मचारी, ऐसे पेंशन के हकदार हो सकते हैं, जिनमें रिटर्न करंट मार्केट रेट के मुकाबले ज्यादा होगा। हालांकि स्थिति सरकार के फायदे में नहीं होगी क्योंकि इससे सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ेगा। वहीं इस फार्मूले में बदलाव करने का अधिकार है। वह बाजार के अनुसार फार्मूले में बदलाव कर सकते हैं।
आदेश जारी
इसी बीच श्रम मंत्रालय द्वारा आदेश जारी किया गया। जिसमें कहा गया कि ईपीएफओ में उचित पेंशन का विकल्प चुनने वाले अंश धारकों के हिस्से का भुगतान नियोक्ता द्वारा दिए जाने वाले योगदान से होगा। पेंशन के लिए अंश धारकों के मूल वेतन का 1.16% हिस्सा लिया जाएगा। वही मंत्रालय द्वारा बुधवार शाम को जारी किए गए बयान में कहा गया है कि पीएफ में नियोक्ताओं के कुल 12% योगदान वैसे ही 1.16% अतिरिक्त अंशदान लेने का भी निर्णय लिया गया है।
श्रम मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इपीएफ और एमपी अधिनियम के तहत सामाजिक सुरक्षा संहिता कर्मचारियों से पेंशन कोष में योगदान की कल्पना नहीं करती है। वही सरकार कर्मचारी पेंशन योजना में योगदान के लिए सब्सिडी के रूप में 15000 तक के मूल वेतन वाले कर्मचारियों का 1.16% भुगतान करती है।
वही ईपीएफओ द्वारा सामाजिक सुरक्षा योजना में नियोक्ता मूल वेतन के 12% का योगदान करते हैं। जिसमें से 8.33% इपीएस में और बाकी 3.67% PF में जमा किया जाता है। बता दें कि ईपीएफओ के अंश धारक पेंशन पाने के लिए 15000 की सीमा से ज्यादा के मूल वेतन पर योगदान का विकल्प चुन सकते हैं। कर्मचारियों को योगदान नहीं देना होगा। इसके लिए नियोक्ता के 12% हिस्से में से ही मूल वेतन का 1.16% का योगदान लिया जाएगा।
उच्च पेंशन का विकल्प चुनने के लिए पात्र
नियम के तहत जिन कर्मचारियों का वेतन, वेतन सीमा से कम है। उन्हें ईपीएफओ में शामिल होना अनिवार्य है और मौजूदा सीमा तक ईपीएफ और ईपीएस में योगदान करना होगा। ईपीएफओ समय समय पर वेतन सीमा को अधिसूचित करता है। वही कर्मचारी 1 सितंबर 2014 से पहले ईपीएफओ के सदस्य थे और 1 सितंबर 2014 को या उसके बाद सदस्य बन गए हैं। वह उच्च पेंशन का विकल्प चुनने के लिए पात्रता रखेंगे। हेलो की ऐसी स्थिति में उच्चतम न्यायालय के फैसले के मुताबिक उनका वेतन वेतन सीमा से अधिक रहा हो, तभी ऐसा किया जा सकता हैं।