लखनऊ, डेस्क रिपोर्ट। Government Employees News 2022: उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रमोशन के नियमों को और भी सरल कर दिया है। अब राज्य कर्मचारियों को 10 वर्षों की बजाय आखिरी पांच वर्षों की एसीआर पर प्रमोशन का लाभ दिया जाएगा।इस संबंध में नियुक्ति और कार्मिक विभाग के मुख्य सचिव ने आदेश जारी कर दिया है।
दरअसल, योगी सरकार ने सरकारी विभागों में पदोन्नति को लेकर बड़ा फैसला किया है, इसके तहत अब 10 साल की जगह पांच साल की प्रविष्टियों पर पदोन्नति दी जाएगी। इसके साथ ही वृहद दंड पर तीन साल पदोन्नति नहीं दी जाएगी और लघु दंड पर एक साल पदोन्नति नहीं दी जाएगी। अगर पहले दंड मिला है और पदोन्नति हो गई है तो आगे की पदोन्नति में इसका संज्ञान नहीं लिया जाएगा।
नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी ने शुक्रवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है, शासनादेश के तहत पांच वर्षों की विचारण अवधि में से 24 महीने से अधिक की प्रविष्टियां पूरी न होने पर और अंतिम तीन वर्ष (36 माह) में से 12 महीने से अधिक की एसीआर न होने पर चयन टाल दिया जाएगा।यानि 31 दिसंबर 2021 के बाद संपन्न होने वाले चयनों के लिए मुख्य रूप से वर्ष 2016-2017 से वर्ष 2020-2021 तक की वार्षिक गोपनीय प्रविष्टियों व अन्य अभिलेखों आदि का संज्ञान लिया जाएगा।
शासनादेश के मुताबिक अंतिम पांच वर्षों का चयन वर्ष से ठीक पांच वर्ष पूर्व की अवधि के अभिलेखों को देखा जाएगा। उदाहरण के लिए चयन वर्ष 2021-2022 में यदि चयन 31 दिसंबर 2021 के पूर्व संपन्न होगा तो इसके लिए मुख्य रूप से वर्ष 2015-2016 से वर्ष 2019-2020 तक वार्षिक गोपनीय प्रविष्टियों व अन्य अभिलेखों आदि का संज्ञान लिया जाएगा।
इतना ही नहीं वेतन वृद्धि रोके जाने के संबंध में कार्मिक को दंड आदेश पारित होने के बाद संपन्न होने वाले प्रथम तीन चयन वर्षों में अलग रखा जाएगा। दंडादेश में यदि कोई नियत समयवधि अंकित नहीं है (एक या अधिक वर्षों के लिए संचयी प्रभाव से वेतन वृद्धि रोका जाना) तो उतने चयन वर्षों में संबंधित कार्मिक को अनुपयुक्त घोषित किया जाएगा। उस कार्मिक को तब तक पदोन्नति नहीं दी जाएगी जब तक दंड में उल्लेखित अवधि समाप्त न हो जाए। संबंधित कार्मिक रिक्तियों की उपलधता और सीनियर होने के बाद दो बार अनुपयुक्त किया जाएगा।
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Pooja Khodani
खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते।
"कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ।
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झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।"
(पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)