Chaitra Navratri 2023 Day 6 : चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यािनी की पूजा की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘आज्ञा चक्र’ में स्थित होता है। योग साधना में इस आज्ञा चक्र का महत्वपूर्ण स्थान है। मान्यता है कि पूर्ण श्रद्धा भाव से की गई इनकी उपासना से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। शास्त्रों मे बताया गया है कि माता कात्यायनी की पूजा करने से शिक्षा के क्षेत्र में साधक को विशेष लाभ मिलता है। आज के आर्टिकल में आपको बताते हैं कि माता कात्यायनी पूजा विधि, भोग, उपाए और मंत्र…
पूजा के शुभ मुहूर्त
आज 3 अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इन शुभ योग में माता कात्यायनी की उपासना करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलेगा।
- शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 26 मार्च को दोपहर 03:02 पर शुरू होगी
- समापन 27 मार्च को दोपहर 03:57 पर होगा
- रवि योग सुबह 06:16 से दोपहर 01:57 तक रहेगा
जानें मां कात्यायिनी की पूजन विधि
- स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें।
- मां कात्यायनी की मूर्ति या तस्वीर को साफ करें।
- पूजनीय सामग्री को एकत्रित करें।
- पूजनीय पात्र में गंध और अक्षता रखें।
- कलश में पानी भरकर उसमें नारियल और मंगल कलश रखें। उसे पूजनीय स्थान पर रखें।
- घी के दीपक को जलाएं और मां कात्यायनी की मूर्ति या तस्वीर के सामने रखें।
- माला धारण करके मां कात्यायनी के मंत्र का जप करें।
- मंदिर के अंदर दीप जलाएं और मंत्र का जप जारी रखें।
- पूजा के अंत में, फूल और मिठाई का नैवेद्य चढ़ाएं।
- नैवेद्य को पूजनीय पात्र में रखें और इसके बाद आरती करें।
- आरती के बाद, प्रसाद को वितरित करें और फूलों को मां कात्यायनी की मूर्ति या तस्वीर पर अर्पित करें।
- पूजा के बाद साफ सुथरे रहें और पूजनीय सामग्री को सुरक्षित रखें।
मां कात्यायिनी की कृपा पाने के उपाय
- मां कात्यायनी के मंत्र ‘ॐ देवी कात्यायन्यै नमः’ का जाप करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। मंत्र का नियमित जप करने से मां कात्यायनी आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
- मां कात्यायनी की पूजा करने से भी आप उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए आप मां कात्यायनी की पूजा के लिए ऊपर बताई गई पूजा विधि का पालन कर सकते हैं।
- मां कात्यायनी के नाम का जप करते हुए उनके लिए व्रत रखने से भी आप उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। अधिकतम लोग नवरात्रि के दौरान मां कात्यायनी के नौ दिवसीय व्रत रखते हैं।
- मां कात्यायनी की कृपा प्राप्त करने के लिए दान देना भी एक उपाय है। आप गरीबों और बेसहारा लोगों को खाने का दान देकर मां कात्यायनी के आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं।
- श्रद्धा और भक्ति दो ऐसे आध्यात्मिक गुण हैं जो हर धर्म में महत्वपूर्ण होते हैं। भक्ति आपको साधारण दिनों के जीवन की तनाव से राहत दिलाती है और आपकी आध्यात्मिक यात्रा को सहज बनाती है।
मां कात्यायिनी की कथा
एक दिन ब्रह्मा जी ने अपने मन से एक सुंदर युवती का निर्माण किया। यह युवती बहुत सुंदर थी और उसका नाम था ‘कात्यायनी’। ब्रह्मा जी ने उससे कहा कि वह शिव जी की पत्नी बनेगी। कात्यायनी ने शिव जी को अपने पति के रूप में चुना था। वह शिव जी के लिए बहुत सारी तपस्या की और एक दिन उनके वर लेने के लिए अपने पिता के आदेश का पालन करते हुए शिव मंदिर गई थी। शिव जी ने उसे वहां देखा और उन्होंने उससे विवाह कर लिया।
सुर और देवताओं को मदद करने के लिए उन्होंने देवी कात्यायनी का उपदेश लिया। मां कात्यायनी ने उन्हें बताया कि महिषासुर को मारने के लिए उन्हें उनकी सहायता की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि महिषासुर एक बहुत ही बलशाली राक्षस है और उसका वध करना बहुत कठिन होगा। देवी कात्यायनी ने उन्हें बताया कि वे महिषासुर का वध करने के लिए उन्हें मन में शक्ति और वीरता के साथ प्रार्थना करनी चाहिए। वे उन्हें युद्ध के लिए उपयुक्त शस्त्र और सामग्री प्रदान करेंगे।
देवताओं ने मां कात्यायनी के उपदेश का पालन करते हुए महिषासुर के खिलाफ युद्ध किया। उन्होंने शस्त्रों के साथ महिषासुर के सामने खड़े होकर उसके साथ द्वंद्व झेला। महिषासुर ने अपनी बलशाली शक्ति के साथ देवताओं को बहुत तकलीफ पहुंचाई और उन्हें पराजित करने की कोशिश की। लेकिन देवताओं ने उसे पराजित कर दिया और मां कात्यायनी ने उसका वध कर दिया।
मां कात्यायिनी की आरती
जय जय अंबे जय कात्यायनी ।
जय जगमाता जग की महारानी ।।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा ।।
कई नाम हैं कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की ।।
झूठे मोह से छुड़ानेवाली।
अपना नाम जपानेवाली।।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी ।।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।
मां कात्यायनी का भोग
- मां कात्यायनी के भोग में अमलतास के फूल, नारियल, दूध, घी, मिष्टान्न, फल आदि शामिल होते हैं।
- आप शुद्ध और सात्विक भोजन होना जरूरी होता है।
- इसके अलावा, विधिवत पूजा के समय प्रशाद के रूप में आप मिठाई, फल और नारियल को भी उपयोग में ला सकते हैं।
- आपको भोजन को स्वयं पकाना चाहिए या फिर पूजा सामग्री खरीदने के लिए एक विश्वसनीय विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों पर आधारित हैं। MP Breaking News इनकी पुष्टि नहीं करता है।)