छत्रपति शिवाजी महाराज की 345वीं पुण्यतिथी, बीमारी या फिर साजिश थी मौत का कारण?

छत्रपति शिवाजी महाराज की डेथ किस तरह से हुई, यह अब भी एक रहस्य बना हुआ है। 3 अप्रैल 1680 को रायगढ़ किले में उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली थी, लेकिन क्या वह बीमार थे या फिर किसी ने उन्हें जहर दिया था? यह सवाल आज भी इतिहासकारों के बीच बहस का कारण बना हुआ है। चलिए जानते हैं उनकी मौत से जुड़ी कहानियां।

3 अप्रैल को छत्रपति शिवाजी महाराज की डेथ एनिवर्सरी के रूप में मनाया जाता है, लेकिन उनकी मृत्यु को लेकर काफी बार सवाल उठाए जाते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि उन्हें गंभीर बुखार था, जिसकी वजह से उनकी मृत्यु हुई थी, वहीं कुछ लोग यह भी मानते हैं कि उन्हें किसी अपने ने जहर दिया था।

बताया जाता है कि शिवाजी महाराज लंबे समय से बुखार से पीड़ित थे, जिसकी वजह से उनका निधन हुआ था। लेकिन कई किताबें यह भी बताती हैं कि उनका निधन एक साजिश थी। कहा जाता है कि शायद उनकी पत्नी सोयराबाई या किसी दूसरे करीबी ने उन्हें जहर दिया था, जिसकी वजह से उनकी हालत तेजी से बिगड़ने लगी और उन्हें उल्टियां होने लगीं। इसके बाद उनका निधन हो गया। मराठा सम्राट की इस तरह से अचानक मृत्यु होने की खबर ने उनके साथियों को झकझोर कर रख दिया था। लेकिन आज भी यह सवाल बना हुआ है कि क्या कोई उन्हें अपने रास्ते से हटाना चाहता था?

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50 वर्ष की उम्र में ली थी आखिरी सांस

वैसे, शिवाजी महाराज की मृत्यु के समय उनकी उम्र को लेकर भी अलग-अलग मान्यताएं हैं। कुछ लोग बताते हैं कि उनकी मृत्यु के समय उनकी उम्र 52 वर्ष थी, वहीं कुछ लोग कहते हैं कि उनकी उम्र 50 साल थी। बताया जाता है कि 50 वर्ष की उम्र में वह गंभीर रूप से बीमार पड़ गए थे और काफी लंबे समय तक उनका इलाज भी चला, लेकिन इलाज के बावजूद भी वह बच नहीं पाए। इतिहास की एक धारा यह भी कहती है कि उनकी पत्नी सईबाई अपने बेटे राजाराम को गद्दी दिलाना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने ऐसा किया हो सकता है, लेकिन इसका कोई पक्का सबूत नहीं मिलता है। यह कहानी आज भी अनसुलझी है और एक रहस्य बनी हुई है।

आज भी इस महान सम्राट को देश याद करता है

शिवाजी महाराज की मृत्यु भले ही रहस्यमय हो, लेकिन उनकी वीरता और समझदारी की कहानी आज भी हर देशवासी के दिल में है। 1674 में रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ था, जिसने मराठा सम्राट को नई ताकत दी थी। मुगलों के खिलाफ उनके द्वारा लड़ी गई जंग आज भी वर्तमान भारत की नींव मानी जाती है। उनकी पुण्यतिथि पर लोग न सिर्फ उनकी मृत्यु का सच जानना चाहते हैं, बल्कि उस महान व्यक्ति को भी याद करना चाहते हैं, जिसने देश के हर युवा में स्वराज की आग जलाई।


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Ronak Namdev

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मैं रौनक नामदेव, एक लेखक जो अपनी कलम से विचारों को साकार करता है। मुझे लगता है कि शब्दों में वो जादू है जो समाज को बदल सकता है, और यही मेरा मकसद है - सही बात को सही ढंग से लोगों तक पहुँचाना। मैंने अपनी शिक्षा DCA, BCA और MCA मे पुर्ण की है, तो तकनीक मेरा आधार है और लेखन मेरा जुनून हैं । मेरे लिए हर कहानी, हर विचार एक मौका है दुनिया को कुछ नया देने का ।

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