दाढ़ी रखना पढ़ गया दारोगा इंतेसार अली को महंगा, हुए निलंबित

Gaurav Sharma
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cop Intesar Ali suspended for keep beared in up

यूपी, डेस्क रिपोर्ट। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के एक सब-इंस्पेक्टर को अपने वरिष्ठों की अनुमति के बिना दाढ़ी (beard) रखने से ड्रेस कोड के नियमों (dress code rule) के हुए उल्लंघन (violation) के चलते निलंबित (suspended) कर दिया गया है। लेकिन बागपत जिले के रमाला पुलिस स्टेशन में तैनात सब-इंस्पेक्टर  इंतेसार अली का दावा है कि उनकी याचिका पिछले नवंबर से अधिकारियों के पास लंबित है  और उनकी 25 साल की सेवा में दाढ़ी की समस्या कभीं नहीं रही।

पुलिसकर्मी  इंतेसार अली (Intesar Ali) को तीन बार उसकी दाढ़ी मुंडाने (Shave beard) या अपेक्षित अनुमति (Requisite permission) लेने की चेतावनी (warning) दी गई थी। आरोप है कि उसने अनुमति नहीं ली और दाढ़ी रखना जारी रखा।पुलिस ड्रेस कोड मैनुअल में कहा गया है कि सिख समुदाय से संबंधित लोगों के अलावा, अन्य पुलिस कर्मी अधिकारियों की अनुमति के बिना दाढ़ी नहीं रख सकते हैं।

इस पूरे मामले में बागपत के एसपी अभिषेक सिंह (Baghpat SP Abhishek Singh ) ने कहा कि, “अली को कल निलंबित कर दिया गया था क्योंकि उसने बिना अनुमति के अपनी दाढ़ी रखी थी और बार-बार निर्देश के बाद भी वह ड्रेस कोड मानदंडों का पालन करने में विफल रहा। इससे पहले, उन्हें मामले पर कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था। एसआई अली को अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबित कर दिया गया है और उनके खिलाफ जांच का आदेश दिया गया है। ”

बागपत पुलिस (Baghpat Police) ने एक बयान में कहा, “इन्तसर अली को पूर्व में वर्दी प्रोटोकॉल और ट्रिमिंग दाढ़ी (Uniform Protocol and Trimming Beard) का पालन नहीं करने के लिए नोटिस दिया गया था। इसके बावजूद, अली ने संबंधित अधिकारियों से किसी भी अनुमति के बिना ड्रेस कोड मानदंडों का पालन करना जारी रखा।

सब-इंस्पेक्टर ने स्वीकार किया कि उनके सीनियर्स (seniors) ने उन्हें पिछले साल से कई बार अपनी दाढ़ी ट्रिम करने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने कहा, “मैं 1994 में एक कांस्टेबल (Constable) के रूप में शामिल हुआ था; उस समय, मेरी हल्की दाढ़ी थी। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, मुझे हमेशा इस लंबाई की दाढ़ी मिली है। मैं पिछले साल छुट्टी मांगने गया था और उस समय एसपी प्रताप गोपेंद्र यादव ने मुझसे मेरी दाढ़ी को लेकर सवाल किया था। इतने सालों की सेवा में, मैंने अन्य स्थानों पर भी पोस्टिंग की है, लेकिन किसी ने मुझे कभी नहीं रोका। मैंने अनुमति के लिए एक पत्र भी दिया था, लेकिन मुझे अभी भी यह नहीं मिला। ”

वहीं जब मीडिया ने एसपी अभिषेक सिंह से याचिका लंबित को लेकर सवाल पहुंचना चाहा तो उनके पीआरओ ने बताया कि एसपी उपलब्ध नहीं है। वहीं पीआरओ ने कहा कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, अली ड्यूटी पर नहीं रहेंगे। जांच के बाद, यह तय किया जाएगा कि क्या उसे बहाल किया जाए या नहीं।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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