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Mon, Dec 15, 2025

दिल्ली HC की बड़ी टिप्पणी: आतंकी साजिश में दोषी को नहीं मिलेगी रिहाई, राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि

Written by:Vijay Choudhary
दिल्ली HC की बड़ी टिप्पणी: आतंकी साजिश में दोषी को नहीं मिलेगी रिहाई, राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि

दिल्ली हाई कोर्ट ने साल 2002 में विदेशी नागरिकों के अपहरण की आतंकी साजिश के मामले में दोषी नासिर मोहम्मद सुदोजे उर्फ आफताब अहमद को किसी भी प्रकार की राहत देने से इनकार कर दिया है। हाई कोर्ट ने उनकी समयपूर्व रिहाई याचिका को खारिज करते हुए कहा कि लंबी कैद एक महत्वपूर्ण कारण हो सकती है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा और समाज के व्यापक हित से ऊपर नहीं हो सकती। यह फैसला देश की सुरक्षा पर सर्वोच्च नजर रखने का संदेश देता है।

 दिल्ली हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस संजीव नरूला ने सुनवाई के दौरान कहा कि चार विदेशी नागरिकों का अपहरण सिर्फ एक अपराध नहीं था, बल्कि भारत की संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय छवि को चोट पहुंचाने वाली सोची समझी आतंकी साजिश थी। यह घटना भारत की घरेलू सुरक्षा पर हमला थी और वैश्विक स्तर पर देश की साख को धूमिल करने वाली थी। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इस तरह के गंभीर अपराध में समाज और राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि है।

 निचली अदालत ने दी थी फांसी की सजा

नासिर मोहम्मद सुदोजे को 2002 में स्पेशल कोर्ट ने आईपीसी की धारा 121A, 122 और 124A, टाडा एक्ट और विदेशी अधिनियम के तहत दोषी ठहराया और मौत की सजा सुनाई। हालांकि, 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा को उम्र कैद में बदल दिया। अब तक वह 26 साल से जेल में बंद हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि सजा की लंबाई महत्वपूर्ण है, लेकिन यह राष्ट्रीय सुरक्षा की प्राथमिकता के सामने गौण है।

 दोषी ने सजा समीक्षा बोर्ड के फैसले को दी चुनौती

दिल्ली हाई कोर्ट में सुदोजे के वकील ने दावा किया कि दिल्ली सरकार की 2004 नीति के तहत 25 साल की कैद पूरी होने पर रिहाई मिलनी चाहिए। लेकिन दिल्ली पुलिस ने कहा कि सुदोजे का आतंकी उमर सईद शेख से गहरा संबंध रहा है, जो 1999 के आईसी 814 विमान अपहरण कांड में रिहा हो चुका था। हाई कोर्ट ने कहा कि यह अपराध निजी दुश्मनी या लालच नहीं, बल्कि भारत सरकार और कानून पर हमला था।

 दिल्ली HC ने राहत देने से किया इनकार

दिल्ली हाई कोर्ट ने साफ किया कि उम्र कैद का दोषी केवल नीति के तहत विचार का पात्र है, लेकिन रिहाई का अधिकार नहीं रखता। राष्ट्रीय सुरक्षा और समाज की भलाई को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए कोर्ट ने नासिर मोहम्मद सुदोजे को किसी भी प्रकार की राहत देने से मना किया। यह फैसला आतंकवाद और गंभीर अपराध के मामलों में कानून के सख्त अनुपालन और राज्य की सुरक्षा की आवश्यकता पर जोर देता है।