PUBG की लत के चलते बेटे ने रेता बाप का गला, पिता ने मोबाइल देने से किया था इंकार

Gaurav Sharma
Published on -
government-will-ban-on-'Pabji'-game-in-Madhya-pradesh-

मेरठ, डेस्क रिपोर्ट। उत्तरप्रदेश के मेरठ (meerut) जिले के खरखौदा गांव में एक दिल दहलाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक बेटे ने अपने पिता का गला रेत दिया। रिश्तों के शर्मसार करने वाला ये मामला खरखौदा थाना क्षेत्र के लोहिया नगर का है, जहां 25 साल के आमिर ने सिर्फ इसलिए अपने पिता का गला छुरे से रेत दिया क्योंकि उसने अपने पिता से पबजी (PUBG) खेलने के लिए मोबाइल (mobile) मांग था, जिसे देने से उसके पिता ने मना कर दिया था।

पिता के मना करने के बाद आमिर आग बबूला हो गया और उसके सिर पर खून सवार हो गया। वहीं पिता के गले को रेतने के बाद आमिर ने भी खुद की गर्दन पर भी चाकू मार लिया। मामले की जानकारी लगते ही इलाके में सनसनी फैल गई, वहीं दोनों घालयों को आनन-फानन में मेडिकल कॉलेज (medical) में इलाज के लिए भर्ती कराया गया। बताया जा रहा है कि अभी दोनों की ही हालत गंभीर बनी हुई है और वे जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहे है। मामले की जानकारी लगते ही पुलिस जांच में जुट गई है।

दरअसल, मामला खरखौदा क्षेत्र के लोहिया नगर के एवन कॉलोनी का है, जहां आमिर नाम के युवक जो कि मोबाइल पर गेम खेलने का आदि है, उसने अपने पिता इरफान से पबजी खेलने के लिए मोबाइल मांगा था। इरफान ने आमिर को फोन देने से इंकार कर दिया। पिता के इंकार से गुस्सा होकर आमिर कमरे में गया और चाकू लेकर आया और पिता पर छुरे से वार कर दिया।

आमिर ने पिता के गले और पैर पर ताबड़तोड़ वार किए। इसके बाद आमिर ने खुद की गर्दन पर भी छुरा मार लिया। मौके पर पहुंचे परिजनों ने पिता-बेटे को लहूलुहान देख चीख-पुकार लगाई और उसको सुनकर मौके पर पहुंचे लोगों ने तुरंत ही दोनों को एमसीसी हॉस्पिटल ले गए, जहां से उनकी हालत देख कर उन्हें मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। बता दें कि आमिर की गेम खेलने की लत के चलते लोग उसे मानसिक रोगी भी कहते है।

बता दें कि 13 अक्टूबर को मेरठ जिले के पल्लवपुरम क्षेत्र में एक 11 साल की बच्चे का अपनी बहन के साथ मोबाइल गेम को लेकर विवाद हो गया था, जिससे नाराज होकर 11 साल के बच्चे ने फांसी लगा ली थी। फिलहाल बच्चा खतरे से बाहर है।

 


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

Other Latest News