‘एक जिस्‍म दो जान’ सोहणा-मोहणा ने किया जेई पद के लिए अप्‍लाई, फंसा पेंच कैसे दे विकलांगता प्रमाणपत्र

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अमृतसर, डेस्क रिपोर्ट। कभी कभी ऐसे अजीबोगरीब मामलें सामने आते है,की फैसला ले पाना बेहद मुश्किल हो जाता है, ऐसा ही एक मामला पंजाब के एक जिस्म दो जान भाई सोहणा मोहणा का है, माँ की कोख से कुछ विचित्र आकार और शरीर लेकर पैदा हुए  सोहणा-मोहणा ने अपनी जीवन की तमाम बाधाओं को पार करते हुए इलेक्ट्रिकल डिप्लोमा हासिल किया मगर अब नौकरी दोनों में से किसे दी जाए विभाग यह नहीं समझ पा रहा है। उनके इस सफर में सरकारी प्रावधान बैरियर बन गया है।

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यह युवा अपने अनोखे हौसले व जज्‍बे से सभी अपनी ओर आकर्षित करते हैं। अमृतसर के पिंगलवाड़ा में पले-बढ़े सोहणा मोहणा 18 साल के हो चुके हैं। उन्‍होंने इलेक्ट्रिकल डिप्‍लोमा करने के बाद पंजाब पावरकॉम  में जेई पद के लिए आवेदन किया है, लेकिन उनको दिव्‍यांगता प्रमाणपत्र नहीं मिल रहा है। दरअसल, एक जिस्‍म दो जान जैसे मामलें में दिव्‍यांगता प्रमाणपत्र जारी करने का प्रविधान नहीं है।

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सोहणा-मोहणा ने पंजाब पावरकॉम  में जूनियर इंजीनियर की एक पोस्ट के लिए अलग-अलग आवेदन किया है। अब पावरकाम तय नहीं कर पा रहा कि इस आवेदन को कैसे लिया जाए। यदि एक को नौकरी मिलती है तो दूसरा भी साथ जाएगा। ऐसे में क्या दोनों एक ही नौकरी पर साथ काम करेंगे या दोनों के लिए अलग-अलग पोस्ट बनानी पड़ेगी। वेतन का क्या होगा। अलग-अलग होगा या दोनों को आधा-आधा दिया जाएगा।

हालांकि, अभी उन्होंने आवेदन ही किया है, लेकिन यह सारे सवाल अनसुलझे हैं। पावरकाम के चेयरमैन का कहना है कि अभी सोहणा-मोहणा के आवेदन करने की सूचना है। साक्षात्कार के बाद ही कुछ तय कर सकेंगे कि ऐसे मामलों में एक को ही नौकरी मिलेगी या दोनों को।

दरअसल, एक जिस्म दो जान जैसे मामलों में दिव्यांगता प्रमाणपत्र जारी नहीं करने का  प्रावधान है,लेकिन दोनों का मेडिकल फिटनेस टेस्ट अमृतसर के सरकारी मेडिकल कालेज में किया गया है। ब्लड ग्रुप ओ पाजिटिव है। रक्त व यूरिन के सैंपल की रिपोर्ट ठीक है। इसी प्रकार दिव्‍यांगता की जांच करने के लिए डाक्टरों का बोर्ड बनाया गया। इसमें दो आर्थो डाक्टर, एक मेडिसिन व एक न्यूरो डाक्टर को शामिल किया गया, डाक्टरों ने उनका शारीरिक परीक्षण किया, उन्हें सीढ़ियों पर चढ़ने को कहा गया। हड्डयिों की जांच की गई। वे हर मापदंड पर सफल हुए। ऐसे में डाक्टरों के सम्मुख यह चुनौती है कि वे इनका दिव्यांगता प्रमाण पत्र कैसे जारी करें। हालांकि सोहणा-मोहणा को देखकर डाक्टर स्पष्ट कह चुके हैं कि ये दिव्‍यांगता की कैटेगरी में आते हैं, लेकिन सरकारी नियमावली में कोई प्रविधान न होने की वजह से सर्टिफिकेट जारी करने में सक्षम नहीं हैं।

एक साथ जुड़े इन दोनों बच्चों ने पावरकाम में नौकरी के लिए आवेदन किया है। नौकरी चाहे सोहणा को मिले या मोहणा को, लेकिन जिस तरह के उनके शारीरिक संरचना है उसके चलते जाएंगे दोनों साथ-साथ। दिव्यांगता प्रमाणपत्र जारी करने पर मेडिकल कालेज के डाक्टर समझ नहीं पा रहे हैं। कालेज प्रशासन देश के विभिन्न राज्यों के चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों से बातचीत कर इस पर मंथन कर रहा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के कुछ निर्णयों को खंगाल रहा है। शायद किसी राज्य में इस प्रकार के बच्चों को मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किया गया हो।


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Harpreet Kaur

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