First AC Train Of India: भारतीय रेलवे ने समय के साथ इतनी उन्नति कर ली है कि अब हम मेट्रो तक पहुंच चुके हैं। एसी कोच का सफर करना आजकल सामान्य सी बात हो गई है। लेकिन किसी जमाने में यह बहुत बड़ी बात हुआ करती थी और इस सुविधा को ले पाना बहुत ही मुश्किल था।
पुराने समय में जिन ट्रेनों में एसी कोच हुआ करते थे वह लग्जरियस की श्रेणी में गिनी जाती थी। एसी कोच का सफर तो आपने भी कई बार किया होगा लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि भारत में सबसे पहले एसी की सुविधा वाली ट्रेन का इस्तेमाल कब किया गया होगा।
आज हम आपको बताते हैं कि आखिरकार सबसे पहले कब हमारे देश में एसी ट्रेन चलाई गई थी और उस समय किस तरह से एसी कोच तैयार किए गए होंगे।
ऐसी थी First AC Train
फ्रंटियर मेल नामक ट्रेन में सबसे पहले एसी कोच का इस्तेमाल किया गया था। अंग्रेजों के जमाने की ये ट्रेन भारत की आजादी की गवाह भी है और यह आज भी चल रही है लेकिन अब इसे गोल्डन टेंपल मेल के नाम से जाना जाता है।
1 सितंबर 1928 को इस ट्रेन की शुरुआत की गई थी और इसे पंजाब एक्सप्रेस के नाम से जाना जाता था। ये सेंट्रल मुंबई से लेकर अमृतसर तक का सफर तय करती थी। बंटवारा होने से पहले यह पाकिस्तान के लाहौर और अफगानिस्तान होते हुए मुंबई सेंट्रल तक आती जाती थी।
1934 के समय इस ट्रेन में एसी कोच लगाए गए जिसके बाद यह फ्रंटियर मेल के नाम से पहचानी जाने लगी क्योंकि अब ये लग्जरियस हो चुकी थी।
The Frontier Mail train (now Golden Temple Mail) seen departing from Mumbai Central Station. #WRHeritage #Throwback #sundaybrunch pic.twitter.com/px8oFKjQwV
— Western Railway (@WesternRly) June 3, 2018
बर्फ की सिल्लियां होती थी इस्तेमाल
फ्रंटियर मेल एसी कोच लगने की वजह से लग्जरियस ट्रेन बन चुकी थी और इसके कोच को ठंडा रखने के लिए बर्फ की सिल्लियों को इस्तेमाल किया जाता था।
एसी कोच के नीचे एक बॉक्स में बर्फ रखा जाता था और उसमें पंखा लगा दिया जाता था। पंखे की मदद से बर्फ से होती हुई हवा पूरे कोच को ठंडा कर दिया करती थी। कोच में बर्फ की सिल्लियों को कब और किस स्टेशन पर बदलना है यह पहले से ही तय कर लिया जाता था।
उस समय फर्स्ट क्लास में सफर करने वाले ज्यादातर ब्रिटिश ही हुआ करते थे। इस कोच में टॉयलेट, खास तरह की बर्थ, बाथरूम और चेयर वगैरह की सुविधा उपलब्ध रहती थी। इसके अलावा पंखे और लाइट भी डब्बों में लगे रहते थे।
समय की पाबंद थी फ्रंटियर मेल
फ्रंटियर मेल के चर्चे उस समय दूर-दूर तक फैले हुए थे। जानकारी के मुताबिक उस समय यह कहा जाता था कि आपके हाथों में पहनी हुई रोलेक्स घड़ी धोखा दे सकती है लेकिन फ्रंटियर मेल कभी धोखा नहीं देगी। एक बार इसके 15 मिनट लेट हो जाने की वजह से जांच के आदेश निकाल दिए गए थे।
फ्रंटियर मेल उस समय की सबसे तेज चलने वाली ट्रेन थी। जब देश का विभाजन हुआ उसके बाद इसे मुंबई और अमृतसर के बीच चलाया जाने लगा। 1996 में इसका नाम गोल्डन टेंपल के नाम पर रख दिया गया।
इन लोगों ने किया है सफर
जानकारियों के मुताबिक महात्मा गांधी से लेकर सुभाष चंद्र बोस ने भी इस शानदार ट्रेन का सफर किया है। मशहूर पाकिस्तानी एक्टर पृथ्वीराज कपूर के साथ कई हस्तियों की यह पसंदीदा ट्रेन थी।
इसे भारतीय रेलवे की सबसे पुरानी लंबी दूरी की ट्रेनों में से एक भी माना जाता है। पुराने समय में जब आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध नहीं थी और टेलीग्राम के माध्यम से संदेश भेजे जाते थे। उसके लिए भी इस ट्रेन का इस्तेमाल किया जाता था।आधुनिकता से दूर उस दौर में भी सुविधा के लिए इस ट्रेन का इस्तेमाल होना यह बताता है कि दुनिया कितनी भी आधुनिक हो जाए उसके सारे आधुनिकरण का राज इतिहास में ही छुपा हुआ है।