General Knowledge : क्या आप जानते हैं कैबिनेट और स्टेट मिनिस्टरों में क्या अंतर होता है? जानिए इन्हे कितनी मिलती है सैलरी!

General Knowledge : क्या आपने कभी सोचा है कि कैबिनेट और राज्य मंत्रियों की सैलरी में कितना अंतर होता है? इन पदों में क्या अंतर होता है? आइए जानते हैं कि इन दोनों के कार्यभार, सैलरी में क्या अंतर है।

Rishabh Namdev
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General Knowledge : देश में नई सरकार का गठन हो चूका है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी नई सरकार के सभी मंत्री अपने पदभार संभाल चुके हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कैबिनेट और राज्य मंत्रियों की सैलरी में कितना अंतर होता है? इन पदों में क्या अंतर होता है? यदि आप भी इन सवाल के जवाब से अनजान हैं तो चलिए आज इस खबर में हम इसका सही जवाब जानते हैं।

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 71 मंत्रियों को विभिन्न मंत्रालय सौंपे हैं। इसमें 30 कैबिनेट मंत्री, 5 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 36 राज्य मंत्री शामिल हैं। लेकिन ऐसे में बहुत से लोगों को कैबिनेट और राज्य मंत्रियों के बीच का अंतर नहीं पता होता है। तो आइए जानते हैं कि इन दोनों के कार्यभार, सैलरी में क्या अंतर है।

मंत्रिमंडल के कितने प्रकार के मंत्री होते है?

आपको बता दें कि तीन श्रेणियों के मंत्री मंत्रिमंडल में होते हैं – कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), और राज्य मंत्री। केंद्रीय मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री सबसे अधिक अधिकार रखते हैं। इसके बाद राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आते हैं, जिनके पास अधिकार कैबिनेट मंत्री से थोड़े कम होते हैं। वहीं सबसे अंत में राज्य मंत्री आते हैं, जिनके अधिकार सबसे कम होते हैं।

कैबिनेट मंत्री:

दरअसल ये सबसे वरिष्ठ और शक्तिशाली मंत्री होते हैं। इन्हें महत्वपूर्ण मंत्रालयों का जिम्मा सौंपा जाता है। ये सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं और इन्हें एक से अधिक मंत्रालय भी सौंपे जा सकते हैं। इनके द्वारा नीति निर्माण और प्रशासनिक फैसलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है। कैबिनेट मंत्रियों की मंत्रिमंडल की बैठकों में उपस्थित होना अनिवार्य होता है।

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार):

ये मंत्री कैबिनेट मंत्रियों के बाद आते हैं। ये भी सीधे प्रधानमंत्री को ही रिपोर्ट करते हैं और अपने विभागों के स्वतंत्र प्रभारी भी होते हैं। हालांकि, इन्हे कैबिनेट की बैठकों में शामिल नहीं किया जाता हैं। दरअसल स्वतंत्र प्रभार का मतलब है कि इन्हें कैबिनेट मंत्री की देखरेख की आवश्यकता नहीं होती।

राज्य मंत्री:

वहीं ये सबसे जूनियर मंत्री होते हैं। ये कैबिनेट मंत्रियों के सहयोगी होते हैं और उन्हें रिपोर्ट करते हैं, न कि प्रधानमंत्री को। बड़े मंत्रालयों जैसे गृह, वित्त, स्वास्थ्य, और शिक्षा में एक या दो राज्य मंत्री नियुक्त किए जाते हैं, जो कैबिनेट मंत्री के अधीन काम करते हैं।

सैलरी और सुविधाओं में अंतर:

वहीं सवाल यह उठता है कि इन तीनों श्रेणियों के मंत्रियों की सैलरी और सुविधाओं में क्या अंतर होता है? तो जानकारी के अनुसार, एक लोकसभा सांसद को सैलरी के साथ भत्ते मिलाकर हर महीने तकरीबन 2.30 लाख रुपये दिए जाते हैं। जबकि आपको बता दें कि कैबिनेट मंत्री को तकरीबन 2.32 लाख, वहीं राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को 2.31 लाख, और राज्य मंत्री को 2,30,600 रुपये सैलरी दी जाती हैं।

सैलरी के अलावा, मंत्रियों को कई सुविधाएं भी मिलती हैं, जैसे:

सरकारी आवास
-वाहन और चालक की सुविधा
-टेलीफोन और इंटरनेट की सुविधा
-चिकित्सा सुविधाएं
-यात्रा भत्ते


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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