Sangai – Hornbill Festival देखने का सुनहरा मौका, IRCTC के साथ घूमिये मणिपुर – नागालैंड

Atul Saxena
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IRCTC Special Tour Packages : पर्यटकों को देश दुनिया की सैर कराने के लिए आईआरसीटीसी अलग अलग जगह के टूर प्लान बनाता है। इस बार नार्थ ईस्ट के दो खूबसूरत राज्यों मणिपुर और नागालैंड का टूर प्लान आईआरसीटीसी ने बनाया है। खास बात ये है कि इस बार पर्यटक दो फेस्टिवल्स में शामिल हो सकेंगे।

7 दिन और 6 रात का है टूर

IRCTC ने जो टूर अनाउंस किया है उसका नाम  Fascinating SANGAI-HORNBILL Fiestas रखा है। इस टूर में पर्यटक मणिपुर के संगई फेस्टिवल और नागालैंड के हॉर्नबिल फेस्टिवल को मजदीक से देख सकेंगे। ये टूर 7 दिन और 6 रात का होगा।

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ये डेस्टिनेशन होंगे कवर

टूर की शुरुआत इम्फाल से 30 नवम्बर को होगी, पर्यटकों को टूरिस्ट व्हीकल से ले जाया जायेगा। इस टूर में आईआरसीटीसी इंफाल, मोइरांग, कोहिमा और खोनोमा डेस्टिनेशन कवर करेगा। इसका किराया 31,830/- प्रति व्यक्ति तय किया गया है, ब्रेकफास्ट और डिनर इसी किराये में शामिल है।

शिल्प कला का अद्भुत संगम “संगई फेस्टिवल”

मणिपुर पर्यटन विभाग द्वारा हर साल 21 से 30 नवंबर तक इसे वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। 2010 के बाद से, इस त्योहार का नाम बदलकर संगई महोत्सव रखा गया है, जो शर्मीले और कोमल भौंहों वाले हिरण की विशिष्टता को दर्शाता करता है, जिसे लोकप्रिय रूप से संगाई के नाम से जाना जाता है, जो हिरण की इस दुर्लभ प्रजाति को दिया जाने वाला एक क्षेत्रीय नाम है। संगई मणिपुर का राजकीय पशु है। संगई महोत्सव  मणिपुर को विश्व स्तर के पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है, यह कला और संस्कृति, हथकरघा, हस्तशिल्प, ललित कला, स्वदेशी खेल, भोजन, संगीत और साहसिक खेलों के साथ-साथ प्राकृतिक पर्यावरण में राज्यों के योगदान को प्रदर्शित करता है। यहाँ दुनिया भर से कई पर्यटक आते हैं और मणिपुर की अद्भुत शिल्प कला से प्रभावित होते हैं।

“त्योहारों का त्योहार” हॉर्नबिल फेस्टिवल

नागालैंड सरकार हर साल 1 से 10 दिसंबर तक हॉर्नबिल फेस्टिवल मनाती है। पूर्वोत्तर में आयोजित इस महोत्सव को ‘त्योहारों का त्योहार’ भी कहा जाता है। नागा अपने त्योहारों को पवित्र मानते हैं, इसलिए इन त्योहारों में भाग लेना अंतर-जनजातीय संपर्क को प्रोत्साहित करने और नागालैंड की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है, नागालैंड सरकार हर साल दिसंबर के पहले सप्ताह में हॉर्नबिल महोत्सव का आयोजन करती है। पहला त्योहार 2000 में आयोजित किया गया था। त्योहार का नाम भारतीय हॉर्नबिल के नाम पर रखा गया है, जो बड़े और रंगीन वन पक्षी हैं जो राज्य की अधिकांश जनजातियों के लोकगीतों में प्रदर्शित होते हैं।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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