हजारों कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, मिलेगा पुरानी पेंशन योजना का लाभ, 31 अक्तूबर तक OPS चुनने का विकल्प, ये होंगे पात्र

राज्य सरकार के कर्मचारियों, सरकार से सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों के कर्मचारियों, राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित स्वायत्त संस्थाओं के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) चुनने के लिए एक अवसर देने का निर्णय लिया है> इस फैसले से लगभग 50 हजार कर्मचारियों को फायदा होगा।

Pooja Khodani
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OLD PENSION SCHEME

UP Old Pension Scheme 2024 :उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है।राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 28.03.2005 से पहले नौकरियों के विज्ञापन की नौकरी वालों को पुरानी पेंशन लेने का ऑप्शन दिया है। OPS चुनने का विकल्प 31 अक्टूबर 2024 तक दिया गया है जो भी कर्मचारी इसका लाभ लेना चाहते है वे आवेदन कर सकते है। विकल्प ना लेने वाले कर्मचारी NPS के दायरे में आ जाएंगे।अनुमान है कि यूपी सरकार के इस निर्णय से करीब 50 हजार कर्मचारी लाभांवित होंगे।

पिछले हफ्ते यूपी कैबिनेट ने दी थी प्रस्ताव को मंजूरी

  • दरअसल, यूपी सरकार ने 28 मार्च 2005 को यह प्रावधान किया था कि एक अप्रैल 2005 या उसके बाद कार्यभार ग्रहण करने वाले कर्मचारी NPS के दायरे में होंगे। यह प्रावधान राज्य सरकार के कार्मिक, शासन के नियंत्रण वाली स्वायत्तशासी संस्थाओं और शासन से सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं के कर्मियों व शिक्षकों पर लागू किया गया है। लेकिन केन्द्र सरकार के फैसले के बाद ऐसे शिक्षक और कार्मिक हैं, जिनकी नियुक्ति एक अप्रैल 2005 को या उसके बाद हुई लेकिन उस नौकरी का विज्ञापन 28 मार्च 2005 से पहले निकला था, वे OPS की मांग कर रहे थे।
  • इसके बाद पिछले हफ्ते हुई कैबिनेट बैठक में 28 मार्च 2005 से पहले प्रकाशित विज्ञापन के आधार पर सरकारी नौकरी पाने वालों को पुरानी पेंशन स्कीम का विकल्प चुनने के अवसर के प्रस्ताव को मंजूर दी गई थी। इससे पहले केंद्र सरकार ने 3 मार्च 2023 को एक आदेश जारी किया था कि NPS के क्रियान्वयन के संबंध में 22 दिसंबर 2003 को जारी नॉटिफिकेशन से पहले केंद्र सरकार की ओर विज्ञापित रिक्ति के तहत 1 जनवरी 2004 या उसके बाद नियुक्त होने वाले किसी भी केंद्रीय कर्मचारी को OPS चुनने का एक मौका दिया जाएगा।

अगले साल से बंद होगी NPS कटौती

यूपी शासनादेश के मुताबिक यदि कर्मचारी उत्तर प्रदेश रिटायरमेंट बेनीफिट्स रूल्स 1961 के अधीन कवर किए जाने की शर्तों को पूरा करता है तो प्रशासकीय विभाग के अनुमोदन के बाद इस संंबंध में एक आदेश नियुक्ति अधिकारी जारी करेंगे। आदेश जारी होने के अगले महीने के वेतन से अभिदाता अंशदान और नियोक्ता अंशदान की कटौती बंद हो जाएगी। जो कर्मचारी ओपीएस का विकल्प चुनेंगे, उनके राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) खाते 30 जून 2025 से बंद कर दिए जाएंगे। इन खातों में जमा कर्मचारियों का अंशदान उनके सामान्य भविष्य निधि खाते में जमा किया जाएगा। इन खातों में जमा सरकारी अंशदान राजकोष में जमा किया जाएगा।

जानिए क्या अंतर है OPS और NPS में

  1. OPS में सरकारी कर्मचारी के रिटायर होने के बाद आखिरी मूल वेतन और महंगाई भत्ते की आधी रकम बतौर पेंशन ताउम्र सरकार के राजकोष से दी जाती है।
    NPS के तहत सरकारी कर्मचारी को अपनी पेंशन में मूल वेतन का 10 फीसदी देना होता है और इसमें राज्य सरकार केवल 14% का ही योगदान देती है।
  2. OPS में हर साल दो बार महंगाई भत्ता भी बढ़कर मिलता है,पेंशन पाने वाले सरकारी कर्मचारी की मौत होने पर उसके परिवार के पेंशन दिए जाना भी ओपीएस में शामिल हैं।
  3. OPS में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद 20 लाख रुपए तक की ग्रेच्युटी मिलती है।
  4. NPS में रिटायरमेंट के समय ग्रेच्युटी का कोई स्थायी प्रावधान नहीं है।न्यू पेंशन स्कीम (NPS) में 6 महीने के उपरांत मिलने वाला महंगाई भत्ता (DA) लागू नहीं होता है।
  5. OPS में कर्मचारियों के लिए 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता (DA) लागू किया जाता है।पेंशन कमीशन के लागू होने पर पेंशन रिवाइज्ड होने का फायदा भी रिटायर कर्मचारी को मिलता है।
  6. NPS के तहत सेवानिवृत्ति पर पेंशन पाने के लिए एनपीएस फंड का 40 फीसदी निवेश करना होता है। सेवानिवृत्ति के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं होती।
  7. NPS शेयर बाजार पर आधारित है। इसमें महंगाई भत्ते का प्रावधान शामिल नहीं है।
  8. NPS में सेवा के दौरान कर्मचारी की मृत्यु होने पर उनके परिजनों को कुल वेतन का 50 फीसदी पेंशन के तौर पर देने का प्रावधान है।
  9. OPS के विपरीत नई पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट पर शेयर बाजार के अनुसार जो भी पैसा मिलेगा,आपको उसपर टैक्स देना होता है।
  10. OPS में कर्मचारी के रिटायरमेंट पर GPF के ब्याज पर उसे किसी प्रकार का इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता।

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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