आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं के लिए खुशखबरी, राज्य सरकार ने बढ़ाई सैलरी, अप्रैल महीने से खाते में आएगी बढ़ी हुई राशि

ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया X पर लिखा -  "मुझे यह घोषणा करते हुए अत्यंत खुशी हो रही है कि अप्रैल, 2024 से हमारी आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को हर महीने 750 रुपये का बढ़ा हुआ पारिश्रमिक मिलेगा।  इसके अतिरिक्त, हमने अपनी आंगनवाड़ी सहायिकाओं के लिए मासिक पारिश्रमिक में 500 रुपये की वृद्धि करने का निर्णय लिया है।" 

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Mamata Banerjee’s Announcement : लोकसभा चुनाव से पहले ममता सरकार ने अपनी राज्य की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा कार्यकर्ताओं को तोहफा दिया है, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की है कि अगले महीने से यानि अप्रैल से इन्हें बढ़ा हुआ वेतन मिलेगा, अर्थात इनके खातों में अब पहले से अधिक राशि आएगी।

आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं के लिए खुशखबरी, राज्य सरकार ने बढ़ाई सैलरी, अप्रैल महीने से खाते में आएगी बढ़ी हुई राशि

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सोशल मीडिया X पर ये लिखा ममता बनर्जी ने 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा कार्यकर्ताओं के सैलरी बढ़ाने की घोषणा की है, उन्होंने सोशल मीडिया X पर लिखा –  “मुझे यह घोषणा करते हुए अत्यंत खुशी हो रही है कि अप्रैल, 2024 से हमारी आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को हर महीने 750 रुपये का बढ़ा हुआ पारिश्रमिक मिलेगा।  इसके अतिरिक्त, हमने अपनी आंगनवाड़ी सहायिकाओं के लिए मासिक पारिश्रमिक में 500 रुपये की वृद्धि करने का निर्णय लिया है।”

अब बढ़कर इतना हो जायेगा वेतन 

आपको बता दें कि अभी तक पश्चिम बंगाल में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को 8250 रुपये मसिक मिलते हैं अब इसमें 750 रुपये की वृद्धि हो जाने से ये 9000 रुपये मासिक हो जाएगी इसी तरह आशा कार्यकर्ता और आंगनवाड़ी सहायिकाओं के वेतन में भी वृद्धि होगी, अब आंगनवाड़ी सहायिका को 6000 रुपये की जगह  6500 रुपये मासिक सैलरी मिलेगी।

इन राज्य सरकारों ने हाल ही में बढ़ाई है सैलरी 

गौरतलब है कि हाल ही में ओडिशा सरकार ने आंगनवाड़ी और मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का वेतन 7500 से बढ़ाकर 10,000 रुपये मासिक किया है इसके अलावा जनवरी में केरल सरकार ने भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के वेतन में 1000 रुपये की वृद्धि की घोषणा की थी ।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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