चंडीगढ़, डेस्क रिपोर्ट। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा है कि समझौते के 27 साल बाद भी कर्मचारियों को नियमित क्यों नहीं किया गया, इस संबंध में हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है।
शासकीय कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, फिर 6% बढ़ेगा महंगाई भत्ता, CM ने दी सहमति, एरियर पर अपडेट
दरअसल, वन विभाग में पिछले 35 साल से सेवा दे रहे कच्चे कर्मचारियों को समझौते के 27 साल बाद भी नियमित नहीं किया गया था, जिसके बाद कर्मचारियों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की और न्याय मांगा। मेवात निवासी सवालिया व अन्य कर्मचारियों की याचिका पर अधिवक्ता नफीस रुपड़िया ने हाईकोर्ट को बताया कि वह पिछले 35 वर्ष से अधिक समय से वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के तौर पर काम कर रहे हैं और राज्य सरकार की नीति के तहत उन्होंने सेवा नियमित करने की मांग की थी, लेकिन कोई हल नहीं निकला तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
इस बीच वन संरक्षक कार्यालय में हरियाणा कर्मचारी महासंघ की बैठक हुई, जिसमें समझौता हुआ कि याचिकाकर्ताओं का केस नियमित करने के लिए अथॉरिटी को भेजा जाएगा। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ले ली थी, लेकिन लंबे इंतजार के बाद भी जब याचिकाकर्ताओं को नियमित नहीं किया गया तो उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। हाईकोर्ट ने 2010 में याचिकाकर्ताओं के दावे पर विचार करने के लिए हरियाणा सरकार को तीन माह की मोहलत दी थी।
इसके बावजूद अभी तक उनकी मांग पर निर्णय लेकर विस्तृत आदेश जारी नहीं किया गया। अब याचिकाकर्ताओं ने फिर से अपनी मांग को लेकर हाईकोर्ट की शरण ली है तो हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस देकर जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि समझौते के 27 साल बाद भी कर्मचारियों को नियमित क्यों नहीं किया गया।