Mohan Yadav in UP: लखनऊ में सीएम मोहन ने अखिलेश पर कसा तंज, कहा- “समाज की लीडरशिप का ठेका लेकर छाती पर दलते रहे मूंग”

लखनऊ में आयोजित यादव महाकुंभ में जनता को संबोधित करते हुए जय यादव, जय माधव के नारे लगाए। साथ ही सीएम मोहन ने कहा कि यह जय जयकार किसी समाज और किसी जाति विशेष  का नहीं है।

Shashank Baranwal
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CM Mohan Yadav: आगामी लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारियां जोरों शोरों से शुरू हो गई है। देश की सभी राजनीतिक पार्टियां मजबूती से चुनाव लड़ने के लिए अलग-अलग पैंतरे अजमाने जुट चुकी हैं। इसी बीच भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गुडौरा मैदान में यादव महाकुंभ का आयोजन किया। वहीं महाकुंभ में मध्य प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव सहित बीजेपी के वरिष्ठ नेतागण मौजूद रहे। इस दौरान सीएम मोहन यादव ने जनता को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर जमकर निशाना साधा।

अखिलेश और मुलायम पर कसा तंज

महाकुंभ में जनता को संबोधित करते हुए सीएम मोहन यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके मुलायम सिंह यादव पर जमकर तंज कसा। इस दौरान उन्होंने यादव समाज को राजनीति में पर्याप्त ताकत न मिलने की बात की। इस दौरान सीएम मोहन के आगे पोस्टर लहराए गए। जिस पर उन्होंने कहा कि जो आप मुझे दिखा रहे हैं उसे उन लोगों को दिखाओ जो आपकी लीडरशिप का ठेका लेकर वर्षों तक आपकी छाती पर मूंग दल रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की बात जहां आएगी वहां कुछ तो उल्टा पूल्टा होगा ही।

अगर कुश्ती न हुई तो काहे का यादव

यादव महाकुंभ को संबोधित करते हुए सीएम मोहन यादव ने कहा मजाकिया अंदाज में कहा कि अगर कुश्ती न हुई तो काहे का यादव? लाठी में दम न हुआ तो काहे का यादव? इसके साथ ही कहा कि ये वो वंश है जो कालिया नाग के सिर पर नृत्य करते हुए समाज को शांति का पैगाम देता है। यह वो समाज है जो कालिया नाग और इंद्र की चुनौतियों से डरता नहीं है।

जय यादव, जय माधव के लगाए नारे

लखनऊ में आयोजित यादव महाकुंभ में जनता को संबोधित करते हुए जय यादव, जय माधव के नारे लगाए। साथ ही सीएम मोहन ने कहा कि यह जय जयकार किसी समाज और किसी जाति विशेष  का नहीं है। यह 5 हजार साल पुराने काले समय को याद दिलाती है। जब धर्म की हानि हुई और हाहाकरा मच रहा था।

यूपी में यादव समाज एक परिवार तक नहीं सिमटा

जनता को संबोधित करते हुए सीएम मोहन ने कहा कि यहां आने से पहले किसी ने कहा था कि यूपी का यादव समाज एक परिवार तक सिमटा हुआ है। हालांकि ऐसा यहां आकर प्रसन्नता मिली की यह समाज किसी एक परिवार तक सीमित नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि तमाम अभावों के बीच से निकला हुआ इसी समाज का एक व्यक्ति प्रदेश की कमान संभाले हुए है।


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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