भारत के राजनीतिक इतिहास में ऐसा सिर्फ एक बार हुआ है जब कोई प्रधानमंत्री लोकसभा चुनाव हार गया हो। बात 1977 की है आपातकाल के बाद हुए चुनाव में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को हार का सामना करना पड़ा। इंदिरा गांधी ने रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, जहां उनके सामने जनता पार्टी के उम्मीदवार राज नारायण थे। राज नारायण ने ऐसा उलटफेर किया कि यह भारतीय राजनीति के इतिहास में दर्ज हो गया।
1977 के लोकसभा चुनाव में बिहार और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया हो गया। उस समय उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 85 सीटें थीं, जबकि बिहार में 54 सीटें थीं। कांग्रेस की इस करारी हार के बावजूद एक ऐसा चेहरा था जिसने कांग्रेस के लिए रिकॉर्ड जीत हासिल की।

26 साल की उम्र में 62,000 वोटों से जीत
दरअसल, यह नाम था अहमद पटेल। 1977 के लोकसभा चुनाव में अहमद पटेल ने कांग्रेस की लाज बचाई थी। एक तरफ जहां इंदिरा गांधी, संजय गांधी और कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता अपनी लोकसभा सीटों से हार गए थे, वहीं गुजरात के भरूच लोकसभा सीट से कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने रिकॉर्ड मार्जिन से जीत दर्ज की। अहमद पटेल ने जनता पार्टी के उम्मीदवार को हराया था। उस समय उनकी उम्र मात्र 26 साल थी, और उन्होंने 62,000 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी।
गुजरात से लोकसभा पहुंचने वाले दूसरे मुस्लिम नेता थे
ऐसा भी कहा जाता है कि अहमद पटेल को टिकट देने के लिए कई बड़े लोगों ने इंदिरा गांधी से बात की थी, जिनमें अमिताभ बच्चन और हरि सिंह जैसे नाम शामिल थे। अहमद पटेल का नाम भारतीय राजनीति में इसलिए भी अहम है क्योंकि वे गुजरात से लोकसभा पहुंचने वाले दूसरे मुस्लिम नेता थे। उनसे पहले एहसान जाफरी यह उपलब्धि हासिल कर चुके थे। अहमद पटेल 1989 तक सांसद रहे, लेकिन 1989 में हिंदुत्व की लहर के चलते गुजरात का राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह बदल गया और पूरा राज्य भगवा रंग में रंग गया। इसके बाद अहमद पटेल ने राज्यसभा का रुख कर लिया। हालांकि, इंदिरा गांधी, संजय गांधी समेत कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं की हार के बावजूद अहमद पटेल की रिकॉर्ड जीत आज भी भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज है।