जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष महमूद मदनी ने पहलगाम आतंकी हमले की साजिश को नाकाम करने का श्रेय देश के नागरिक समाज को दिया है। उन्होंने कहा कि इस घटना के पीछे देश में समुदायों के बीच फूट डालने की साजिश थी, जिसे भारतीय नागरिकों ने समझदारी और धैर्य से विफल कर दिया। मदनी ने इसे ऑपरेशन सिंदूर से भी बड़ी उपलब्धि करार दिया। उन्होंने कहा कि अगर यह घटना किसी अन्य देश में हुई होती तो वहां भारी अराजकता फैल सकती थी।
मदनी ने कहा कि नागरिक समाज ने इस शर्मनाक घटना को नाकाम करने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि हमलावरों ने लोगों के नाम पूछकर उनकी हत्या की, लेकिन भारतीय नागरिकों ने धैर्य और एकता दिखाई। मनी ने कहा, “हमारे देशवासियों ने हिंदू-मुस्लिम में विभाजन नहीं होने दिया। यह भारत की खूबसूरती है।” उन्होंने भारतीय सेना के साथ खड़े होने को नागरिकों का कर्तव्य बताया और कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान विपक्ष ने भी सरकार का समर्थन किया।
26 पर्यटकों की हत्या
22 अप्रैल को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने पहलगाम में 26 पर्यटकों की हत्या कर दी थी, जिनमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक शामिल थे। इसके जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी ठिकानों को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में निशाना बनाया गया। बाद में पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई को भी भारत ने नाकाम कर दिया।
ऑपरेशन महादेव चलाया
28 जुलाई को भारतीय सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ऑपरेशन महादेव के तहत पहलगाम हमले में शामिल तीन आतंकवादियों को मार गिराया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि इन आतंकवादियों ने धर्म पूछकर निर्दोष लोगों की हत्या की थी। उन्होंने इस बर्बर कृत्य की निंदा की और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की।





