Kedarnath Yatra 2023: मंत्रोच्चारण के साथ खुले केदारनाथ धाम के कपाट, भक्तों की उमड़ी भीड़

Sanjucta Pandit
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Kedarnath Yatra 2023 : केदारनाथ धाम भारत के उत्तराखंड राज्य में हिमालय की गोद में स्थित है। केदारनाथ धाम का महत्व शिवपुराण में उल्लेखित है और इसे भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। बता दें कि आज यानि 25 अप्रैल को केदारनाथ धाम के कपाट खुल चुकें हैं। सुबह 6 बजे से ही मंदिर में पूजा अर्चना शुरू हो गई है। जिसमें देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी भक्तगण पहुंच रहे हैं।

Kedarnath Yatra 2023: मंत्रोच्चारण के साथ खुले केदारनाथ धाम के कपाट, भक्तों की उमड़ी भीड़

भक्तों की उमड़ी भीड़

केदारनाथ मंदिर के कपाट ठंडी के मौसम में 6 महीने के लिए बंद किए जाते हैं। इसके बाद कपाट मेघ लग्न में खुले जाते हैं। कपाट खुलने से पहले पूजारी एक दीपक जलाते हैं जो 6 महीने के बाद जलता हुआ मिलता है। इस रीति-रिवाज को समझाया जाता है कि यह भगवान शिव के धाम में मौजूद भगवान के आविर्भाव का प्रतीक है। बता दें कि बाबा केदारनाथ धाम एक प्रमुख धार्मिक स्थल है जहाँ हिंदू धर्म के शिव भक्त दर्शन के लिए जाते हैं।

भण्डारे का शुभारम्भ

बता दें कि मंदिर के कपाट खुलने के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी वहां पहुंचे। इस अवसर पर भक्तों के लिए भंडारे का भी आयोजन किया गया है। लोग इस अवसर पर धार्मिक आदर्शों के अनुसार, पूजा-अर्चना करते हुए अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए मंदिर में जाते हैं। यहां पर पुजारियों द्वारा प्रतिदिन अलग-अलग विधियों की पूजाएं की जाती हैं जिसमें श्रद्धालु भक्त बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। इस दौरान विभिन्न प्रकार के परम्परागत भोजन की व्यवस्था की जाती है।

महत्वपूर्ण धामों में से एक

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, केदारनाथ धाम भारत में सबसे महत्वपूर्ण धामों में से एक है और यह हिमालय पर्वत श्रृंखला के शीर्ष पर स्थित है। यहां पर बाबा केदारनाथ के शिवलिंग की पूजा की जाती है और यह चार धामों में से एक है जिसे चारों धामों के साथ में संयुक्त रूप से यात्रा के दौरान दर्शाया जाता है।

ज्योतिर्लिंग की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि वह स्वयं अपनी ज्योति में लगातार जलता रहता है और इसी कारण से यह ज्योतिर्लिंग नाम प्राप्त करता है। केदारनाथ धाम में मंदिर के कपाट हर साल बंद होते हैं, जो शीतकालीन मौसम के लिए होता है। इस अवधि के दौरान मंदिर में एक दीपक जलाया जाता है, जो मंदिर की रक्षा के लिए होता है। धार्मिक मान्यता है कि यह ज्योत ज्यों बढ़ती रहती है और जब मंदिर के कपाट खोले जाते हैं तो यह दीपक जलते हुए मिलता है।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति महाभारत काल में हुई थी। कथा के अनुसार, पंडवों और कौरवों के बीच हुए महाभारत युद्ध के बाद, अर्जुन ने भगवान शिव से मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना की थी। शिव ने अर्जुन को दिव्य शस्त्रों और ज्ञान का उपहार दिया था। उस समय से पहले केदारनाथ मंदिर के स्थान पर प्रकट हुए देवी के पैरों के निशान थे। महाभारत के बाद अर्जुन ने उन निशानों को ढूँढ़ नहीं पाए लेकिन वहां एक अज्ञात व्यक्ति ने उन्हें बताया कि वह निशान शिव के हैं और उनकी पूजा की जानी चाहिए।

अर्जुन ने उस जगह पर शिव की पूजा की और अपने ज्ञान को देव से अर्पित कर दिया। इस प्रकार केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति हुई थी।शिव पुराण के अनुसार, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग को स्थापित करने वाले अर्जुन की इच्छा थी कि शिव हमेशा उस जगह पर विराजमान रहें। उसने शिव से अनुरोध किया था कि वह यहां अपनी तपस्या करें और सदैव उन्हें ध्यान में रखें। इसी क्रम में शिव ने अपनी तपस्या की और उनकी पूजा की जाने लगी। शिव की उपस्थिति ने इस स्थान को दिव्य शक्ति से पूर्ण कर दिया था। केदारनाथ ज्योतिर्लिंग को देखने के लिए दुनियाभर से श्रद्धालु इस स्थान पर आते हैं।


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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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