महंत नृत्य गोपाल दास की बिगड़ी तबीयत, मेदांता अस्पताल किया गया रेफर

Gaurav Sharma
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लखनऊ, डेस्क रिपोर्ट। सोमवार को महंत नृत्य गोपाल दास (mahant nritya gopal das) जो श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Shriram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust) के अध्यक्ष (director) है उनकी अचानक तबीयत  बिगड़ गई। महंत को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी , जिसके बाद तुंरत उनका परीक्षण (testing) करवाया गया। परीक्षण के बाद बिना देरी करे महंत जी को लखनऊ के मेदांता अस्पताल (Medanta hospital of Lucknow) के लिए रेफर(refer) कर दिया गया।

वहीं मेदांता के डॉक्टरों के हिसाब से महंत का ब्लड प्रेशर कम हो गया था जिसके कारण उन्हें सास लेने में कठनाई हो रही थी, डॉक्टरों का कहना है कि एक दो दिन के भीतर महंत के डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।

बता दें कि महंत नृत्य गोपालदार कोरोना की भी चपेट में आ गए थे, जिसको मात देकर वो पूरी तरह से ठीक हो गए थे। महंत जन्माष्टमी के दौरान कोरोना संक्रमित पाए गए थे। जब महंत को कोरोना हुआ था तब भी उन्हें सास लेने में तकलीफ होने के चलते गुरुग्राम के मेदांता में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था।

बता दें कि राममंदिर आंदोलन के समय में महंत नृत्य गोपाल दास की अहम भूमिका थी। अयोध्या में राममंदिर को लेकर संत समाज ने सड़क से लेकर कोर्ट तक काफी संघर्ष किया था, जिसमें प्रमुख संतों में महंत नृत्य गोपाल दास भी थे। साल 1990 में नृत्यगोपाल दास ने कारसेवा के समय हजारों कारसेवकों का नेतृत्व और मार्गदर्शन किया था।

वहीं 06 दिसंबर साल 1992  की घटना के बाद कई सरकारों में उन्हें विभिन्न प्रकार की उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। जिसके बाद पिछले साल आए सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर के फैसले को लेकर राममंदिर बनाने के लिए गठित की श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टियों ने उन्हें अध्यक्ष मनोनीत किया।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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