Malana Village of Himachal: भारत एक ऐसा देश है जो अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं के लिए दुनिया भर में पहचाना जाता है। यहां कई सारे राज्य है जिनकी अपनी अलग संस्कृति और परंपरा है, जो यहां की खासियत के तौर पर जानी जाती है। पर्यटन के लिहाज से देखा जाए तो देश में एक से बढ़कर एक जगह मौजूद है जहां पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है।
पौराणिक स्थल, ऐतिहासिक इमारतें, धार्मिक स्थान, खूबसूरत और मनमोहक प्राकृतिक वादियां, नदी, पहाड़, जंगल, झील, झरने सभी का दीदार आपको भारत में करने के लिए मिलेगा। जिस तरह अलग-अलग राज्यों की यहां पर परंपरा, भाषा, बोली पहनावा देखने को मिलता है ठीक वैसे ही पर्यटक स्थल भी अलग-अलग हैं।
हिमाचल अपने खूबसूरत पहाड़ों और हसीन वादियों के लिए दुनिया भर में अलग ही पहचान रखता है। साल भर यहां की प्राकृतिक खूबसूरती को निहारने के लिए पर्यटकों की चहल-पहल दिखाई पड़ती है। इस क्षेत्र में कई सारी हिल स्टेशन खूबसूरत ट्रैकिंग डेस्टिनेशन और झील देखने के लिए मिल जाएगी। इसके अलावा बर्फ से लदे पहाड़ों के बीच कुछ ऐसे गांव भी मौजूद है जो अपनी किसी न किसी खासियत की वजह से बहुत प्रसिद्ध है। आज हम आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में बताते है, जो आपको थोड़ा हैरान भी करेगी।
बहुत अनोखा है Malana Village
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में मौजूद मलाणा गांव अपने कुछ सख्त नियमों के चलते पहचाना जाता है। इस गांव में पर्यटक घूमने के लिए तो आ सकते हैं लेकिन उन्हें यहां लागू किए गए नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन यहां घूमने आने वाला व्यक्ति यहां मौजूद किसी भी चीज को हाथ नहीं लगा सकता है और अगर उसने ऐसा किया तो उसे 1000 से लेकर 2500 तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
यहां नियम इतने ने ज्यादा सख्त और कड़े हैं कि यहां मौजूद दुकानों पर रखी हुई चीजों को भी आने वाले पर्यटक हाथ नहीं लगा सकते हैं। अगर आपको यहां खाने-पीने की वस्तु भी खरीदना है तो आपको दूर से ही दुकानदार को जानकारी देनी
होगी और पैसे दुकान के बाहर रख देने होंगे। आपकी बताई हुई चीज लाकर दुकानदार दुकान के सामने जमीन पर रख देगा और अपने पैसे लेकर चला जाएगा।
इस जगह पर इतने कड़े नियम होने के बावजूद भी पर्यटकों का आना-जाना यहां पर लगा रहता है क्योंकि यहां की प्राकृतिक खूबसूरती और यह अनोखा नियम उन्हें अपनी और आकर्षित करता है।
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हिमाचल के मलाणा का पुराना संविधान
मलाणा गांव की सिर्फ यही खासियत नहीं है बल्कि एक और वजह है जिसके कारण ये जगह प्रसिद्ध है। यहां का संविधान सबसे पुराना माना जाता है और उसके नियम इतने ज्यादा सख्त हैं कि अपराधी भी अपराध करने से खौफ खाते हैं।
ये दुनिया का सबसे पुराना लोकतांत्रिक गांव कहा जाता है और यही वजह है कि यहां के लोग भारतीय संविधान नहीं मानते हैं बल्कि इनका अपना संविधान है। कुल्लू जिले के इस गांव की अपनी संसद भी है जिसमें छोटे बड़े दो सदन बने हुए हैं।
बड़े सदन में 11 सदस्य होते हैं जिनमें से आठ का चुनाव गांव वाले करते हैं और बाकी तीन स्थाई गुर, कारदार और पुजारी होते हैं। सदन में हर घर से एक बुजुर्ग सदस्य को शामिल किया जाता है।
होती है संसद की कार्रवाई
इस गांव की संसद के बड़े सदन में अगर किसी बुजुर्गों का निधन हो जाता है तो फिर से पूरी सदन का गठन किया जाता है। व्यवस्था बनाए रखने के लिए इस जगह का अपना कानून, थानेदार और प्रशासनिक का अधिकारी हैं जो पूरे क्षेत्र की व्यवस्थाओं को संभालते हैं।
यहां पर संसद की कार्रवाई चौपाल के तौर पर की जाती है। बड़े सदन के 11 सदस्य ऊपर बैठते हैं, छोटे सदन के सदस्य नीचे बैठते हैं और गांव से जुड़ा हर मसला इसी कार्रवाई में सुलझाया जाता है। अगर संसद में किसी मसले का फैसला नहीं हो पाता है तो उसे जमलू देवता पर छोड़ दिया जाता है और उनका फैसला ही आखिर माना जाता है। यहां के लोग ऋषि जमलू को देवता के रूप में पूजते हैं।
लिटिल ग्रीस के नाम से है प्रसिद्ध
भारत और यूनान के कुछ वैज्ञानिकों के एक समूह ने मलाणा गांव पर शोध किया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक इस जगह का सीधा संबंध सिकंदर से है। जानकारी के मुताबिक 326 ईसा पूर्व जब सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया था तो उसे पोरस के साथ संधि करना पड़ी थी।
इस संधि के बाद सिकंदर तो यूनान वापस लौट गया लेकिन उसके कुछ सैनिक इस जगह पर रुक गए। यहां रहने वाले लोग खुद को सिकंदर का वंशज मानते हैं, यही वजह है कि इसे सिकंदर का गांव भी कहा जाता है। हालांकि, इस बात के कोई ऐतिहासिक सबूत तो नहीं मिलते हैं। लेकिन यहां बोले जाने वाली भाषा में कुछ ग्रीक शब्दों का प्रयोग बहुत ज्यादा किया जाता है।
जमलू ऋषि का चमत्कार
भारत में बहुत पुराने समय से राजा-महाराजाओं, बादशाहो और नवाबों को सिर आंखों पर बैठा कर रखा जाता आया है। आज भी राजघराने से जुड़े हुए लोगों को वैसा ही सम्मान दिया जाता है जैसे पुरातन काल में दिया जाता था।
आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन मलाणा एक ऐसा गांव है जहां पर आज भी बादशाह अकबर की पूजा की जाती है। यह पूजा अकबर की महानता की वजह से नहीं बल्कि इससे जुड़ी एक कहानी के चलते की जाती है। जानकारी के मुताबिक एक बार अकबर ने ऋषि जमरू की परीक्षा लेने के उद्देश्य से उन्हें दिल्ली में बर्फबारी करने को कहा। ऋषि ने अपना चमत्कार दिखाते हुए बर्फबारी करवा दी और यही वजह है कि हर साल यहां पर फागली उत्सव मनाया जाता है जिसमें अकबर की पूजा होती है।
जमकर होता है नशे का कारोबार
हिमाचल प्रदेश के इस गांव में नशे का कारोबार जोर-शोर से किया जाता है और यहां मिलने वाली हशीश और चरस के लिए ये दुनियाभर में मशहूर है। यहां मिलने वाली चरस को दुनिया भर में मलाणा क्रीम के नाम से जाना जाता है।
इस जगह पर किए जाने वाले नशे के कारोबार को रोकना हिमाचल प्रदेश सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है और तमाम अभियान चलाने के बावजूद भी इस पर पूरी तरह से रोक लगा पाना संभव नहीं हो पाया है।
बहुत अजीब है परंपरा
अपने आप में अनोखी इस गांव में एक अजीब परंपरा भी है। जानकारी के मुताबिक अगर दो पक्षों में कोई विवाद हो जाता है तो लड़ाई-झगड़ा करने या फिर कोई कार्रवाई करने की जगह दोनों पक्षों से दो बकरे मंगाए जाते हैं और उनके पैर में चीरा लगाकर उसमें जहर भर दिया जाता है। इसके बाद जिस पक्ष का बकरा पहले मर जाता है उसे दोषी माना जाता है और इस फैसले पर कोई भी सवाल नहीं उठाता। संविधान, संसद और अजीब परंपराओं के चलते यह गांव दुनिया भर से आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।