Medicine Price Hike : भारत में 1 अप्रैल से नया वित्तीय वर्ष (2023-24) शुरू हो गया है। दरअसल, लोगों को अब अपनी बीमारियों के लिए अधिक जेब धीली करनी होगी क्योंकि नई शुरूआत में काफी चीजों के दाम में बढ़ोतरी हुई है। जिसमें अमूल दूध से लेकर दवाईयों के नाम शामिल है। इससे लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, विशेष रूप से वह लोग जो नियमित रूप से दवाएं खरीदते हैं या जो दवाओं के लिए अपनी बचत इन्वेस्ट करते हैं।
12% से अधिक का इजाफा
दरअसल, भारत में दवाओं के दाम में 12% से अधिक का इजाफा हुआ है। जिसके कारण दवाओं की कीमत बढ़ गई है। जिसका सीधा असर आम जनमानस पर देखने को मिल रहा है। बता दें कि नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने देश में 905 जरूरी दवाओं के दाम बढ़ाने को मंजूरी दे दी है। जिसमें बुखार की दवा, पेन किलर, इंफेक्शन की दवा, डायबिटीज, IPM, कार्डिएक, गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी, विटामिंस, रेस्पिरेटरी, एनेलजेसिक्स, गायनेकोलॉजी, आंखों से संबंधित समेत हार्ट से संबंधित दवाएं और एंटीबायोटिक शामिल है।
नोटीफिकेशन किया गया जारी
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने इस सिलसिले में नोटीफिकेशन जारी भी कर दिया है। नोटीफिकेशन के अनुसार, दवा कंपनियों को अब सिर्फ नई सीलिंग प्राइस के हिसाब से दवा की कीमत निर्धारित करने की इजाजत होगी। यह नई सीलिंग प्राइस दवाओं की गुणवत्ता, संचालन की लागत, और अन्य प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए तय की जाएगी।
इस नोटिफिकेशन के जारी होने के बाद फार्मा कंपनियों को नए दामों पर दवाओं की बिक्री करनी होगी। इससे पहले कंपनियों को आवश्यकतानुसार अपनी दवाओं की मूल्य निर्धारित करने की आजादी थी लेकिन अब नए नियमों के अनुसार, सरकार उपभोक्ताओं को उचित रेट पर दवाएं उपलब्ध कराने में सक्षम होगी।
जानिए कैसे तय होती है दवाओं की कीमत
ड्रग नियामक यानी नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) हर वित्त वर्ष की शुरुआत यानी 1 अप्रैल को दवाओं की कीमतों में संशोधन करती है। इसका मुख्य उद्देश्य दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करना और उन्हें सामान्य लोगों के लिए उपलब्ध बनाना होता है। ये नए दाम पिछले साल के होलसेल प्राइज इंडेक्स (WPI) के आधार पर तय किए जाते हैं। इससे पहले एक निर्धारित संख्या के दवाओं की कीमतों को सीमित रूप से नियंत्रित किया जाता था लेकिन नए नियमों के अनुसार, अब बहुत सारी जरूरी दवाओं की कीमतों को नियंत्रित किया जाता है।
NPPA दवाओं की कीमतों को करता है कंट्रोल
बता दें कि NPPA भारत सरकार के केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अधीन आता है जो दवाओं की कीमतों को कंट्रोल करता है। यह संगठन दवाइयों के मूल्यों को नियंत्रित करने और दवाइयों के उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार द्वारा बनाया गया था। NPPA फार्मास्युटिकल कंपनियों की विनियमितता को बनाए रखने के लिए निरंतर निगरानी करता है और दवाइयों की कीमतों को नियंत्रित करता है। NPPA नियमों के तहत दवाइयों के मूल्यों की समीक्षा करता है और उन्हें निर्धारित करता है। फार्मास्युटिकल कंपनियों को नियमों के अनुसार दवाइयों की कीमतों का पालन करना होता है अन्यथा उन्हें ब्याज सहित भुगतान करना पड़ सकता है।
आपको यह जानकारी देते हुए बता दें कि जब भी एक दवा की कीमतों में वृद्धि होती है तो इसका सीधा असर मरीजों के मेडिकल बिल पर पड़ता है। इस बढ़ती महंगाई के कारण लोगों को अधिक दाम भुगतने पड़ते हैं जो उनके लिए आर्थिक तनाव का कारण बन सकता है। इसलिए सरकार और निजी कंपनियों के बीच दवाओं की कीमतों के मसौदे को लेकर समझौते करते हुए एक संतुलित और समायोजित नीति बनाने की कोशिश करती है।
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं अलग-अलग जानकारियों पर आधारित हैं। MP Breaking News इनकी पुष्टि नहीं करता है।)