Milk Price Hike : दूध की बढ़ती कीमतें आम आदमी को परेशान कर रही हैं। यह समस्या सिर्फ भारत में ही नहीं है बल्कि अन्य देशों में भी देखी जा सकती है। इसके अलावा, यह समस्या सिर्फ दूध ही नहीं बल्कि अन्य खाद्य पदार्थों जैसे कि अनाज, तेल और चीनी आदि में भी देखी जा सकती है। बता दें कि सरकार भी दूध उत्पादों की कमी को लेकर गंभीर है और उसने उसकी नियमित निगरानी शुरू कर रखी है ताकि देश में डेयरी उत्पादों की कमी न हो जाए।
पिछले कुछ महीनों में देश की बड़ी डेयरी कंपनियां जैसे अमूल, मदर डेयरी ने कई बार दूध की कीमतों में इजाफा किया है। जिसके कारण भारत में अब दुध 12 फीसदी बढ़ोतरी के साथ 57.15 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया है। जिससे सरकार की चिंता भी बढ़ गई है।
जानिए क्यों बढ़ रहे दूध के दाम
दूध की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के पीछे जानवरों के चारे की कीमतों में बढ़ोतरी का होना एक मुख्य कारण है। चारे की कीमतें बढ़ने के पीछे कई कारण हैं, जिनमें सबसे मुख्य हैं मौसम के परिवर्तन, बढ़ती मांग, ग्लोबल बाजार में कुछ स्थानों पर कम उत्पादन और लॉजिस्टिक तंत्र में बाधाओं की वजह से चारे की आपूर्ति में निरंतर कमी है।
दूध उत्पादन के लिए दुग्धदाताओं को अधिक खर्च करना पड़ता है जो उनकी गायों और भैंसों को उनके दैनिक खाने के लिए चारा प्रदान करते हैं। चारे की खरीद की बढ़ती कीमतों के कारण दुग्धदाताओं को अपने उत्पादक मूल्यों में वृद्धि करना पड़ता है जो दूध की बिक्री मूल्यों में बढ़ोतरी का कारण बनता है। इसके अलावा, दूध के परिपक्व होने के लिए समय की आवश्यकता होती है इसलिए यह भी एक कारण है कि दूध की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रह है।
दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश भारत
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है और वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत ने 221 मिलियन टन दूध उत्पादित किया है। हालांकि, मांग के बढ़ते अंकों के बीच दूध उत्पादन में वृद्धि की जरूरत है। इस समस्या का समाधान करने के लिए संभवतः सबसे अच्छा तरीका होता है किसानों के लिए उपयुक्त तकनीक और संसाधनों का विस्तार और उन्हें उचित मूल्य मिलने की उन्नत तकनीकों का उपयोग करना। साथ ही, दूध उत्पादकों के लिए व्यवसाय के लिए तकनीकी और वित्तीय समर्थन प्रदान किया जाना चाहिए ताकि उन्हें उचित मूल्य मिल सके।
उत्पादकों को दी जाती है ये सलाह
साथ ही, नई तकनीकों का उपयोग करना चाहिए जैसे कि दूध उत्पादन में अधिक उत्पादकता के लिए या उत्पादकों के लिए उचित मूल्य निर्धारित करने के लिए जिससे कि बाजार दरों का संतुलन बना रहे। व्यापक स्तर पर, एक मजबूत राष्ट्रीय उत्पादक संगठन भी उत्पाद को संभालने में मदद कर सकता है।
इस संगठन के अंतर्गत, उत्पादकों को उत्पादन और बिक्री की सलाह दी जाती है ताकि वे अपनी उत्पादन क्षमता को बेहतर ढंग से नियंत्रित कर सकें और अपने उत्पादों की बिक्री में उचित मूल्य को निर्धारित कर सकें। इससे दूध उत्पादन उद्योग में सुधार हो सकता है और मांग-आपूर्ति का संतुलन बना रह सकता है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना अलग-अलग जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)