भारतीय रेलवे में यात्रा की बढ़ती मांग और सीटों की कमी का संकट गहराता जा रहा है। वर्ष 2024-25 में 3.27 करोड़ से अधिक यात्रियों को टिकट बुक करने के बावजूद यात्रा नहीं मिल पाई, क्योंकि उनकी टिकटें अंतिम चार्ट तैयार होने तक कन्फर्म नहीं हो सकीं। मध्य प्रदेश के नीमच के कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौर की ओर से दायर आरटीआई से यह चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। पिछले पांच वर्षों में ऐसे यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो रेलवे की सीट उपलब्धता और मांग के बीच बढ़ते अंतर को दर्शाता है।
पिछले वर्षों के आंकड़े भी चिंताजनक हैं। 2023-24 में 2.96 करोड़, 2022-23 में 2.72 करोड़ और 2021-22 में 1.65 करोड़ यात्रियों को कन्फर्म टिकट नहीं मिल पाया। यह लगातार बढ़ता आंकड़ा दर्शाता है कि आधुनिकीकरण और विस्तार के प्रयासों के बावजूद भारतीय रेलवे यात्रा की बढ़ती मांग को पूरा करने में असमर्थ है।
टिकट बुकिंग में अनियमितता
टिकट बुकिंग में अनियमितताओं को रोकने के लिए भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) ने 2.5 करोड़ से अधिक संदिग्ध और फर्जी यूजर आईडी को निष्क्रिय कर दिया है। इससे टिकट प्रणाली में पारदर्शिता लाने और दुरुपयोग रोकने की कोशिश की जा रही है। इसके अलावा, रेलवे ने एक नया नियम लागू किया है, जिसके तहत यात्री अपनी वेटलिस्टेड टिकट की स्थिति ट्रेन के प्रस्थान से 24 घंटे पहले जान सकते हैं, जबकि पहले यह चार्ट प्रस्थान से चार घंटे पहले तैयार होता था।
कन्फर्म टिकट की उपलब्धता
हालांकि ये कदम कुछ राहत प्रदान करते हैं, लेकिन कन्फर्म टिकट की उपलब्धता का मुख्य मुद्दा अभी भी लाखों यात्रियों के लिए अनसुलझा बना हुआ है। यह स्थिति भारतीय रेलवे के सामने एक बड़ी चुनौती है, जिसे हल करने के लिए और बड़े कदमों की जरूरत है। परेशान यात्री भी लगातार इस मुद्दे को सोशल मीडिया के जरिए समय-समय पर उठाते रहे हैं और उन पर ऐक्शन भी लिया गया है।





