National Mango Day : जानिए आम से जुड़े कुछ रोचक तथ्य, कैसे मिला नाम “चौसा” व “लंगड़ा”

Atul Saxena
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। फलों के राजा आम के नाम पर मनाया जाने वाला दिन National Mango Day यानि राष्ट्रीय आम दिवस हर साल 22 जुलाई को मनाया जाता है। आम कच्चा हो या पका हुआ इसको दोनों तरह से इस्तेमाल किया जाता है। आम एक ऐसा फल है जो घर के किचिन से लेकर बड़े बड़े मॉल तक अलग अलग वैराइटी में मिलता है।  चाहें वो अचार हो, स्मूदी हो, शेक हो, मुरब्बा हो, चटनी हो, आईस्क्रीम हो, आम को हर स्वाद के साथ पसंद किया जाता है। आइये आपको आज हम आम से जुड़ी कुछ रोचक बातें (interesting facts about mango) बताते हैं।

आम को भारत का राष्ट्रीय फल कहा जाता है , ये फलों का राजा है, इसकी खुशबू और शक्ल दोनों ही लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती हैं। इसीलिए आम की संस्कृति, स्वाद और पोषण के बारे में लोगों को शिक्षित करने के उद्देश्य और अमेरिका में आम की खपत को बढ़ाने के लिए मैंगो प्रमोशन , रिसर्च एंड इन्फॉर्मेशन ऑर्डर के तहत साल 2005 में नेशनल मैंगो बोर्ड गठित किया गया था, इसका काम लोगों को आम के प्रति प्रेरित करना है। इसलिए नेशनल मैंगो डे मनाया जाता है।

आम का इतिहास 

भारत में आम की खेती की बात की जाये तो इसका इतिहास (history of mango in india) लगभग 5000 साल पुराना बताया जाता है। भारत की लोककथाओं में भी इसका उल्लेख मिलता है। माना जाता है कि आम की उत्पत्ति भारत, म्यांमार (बर्मा) और अंडमान द्वीप समूह में हुई थी। सबसे पहल भारत के नार्थ ईस्ट में आम की खेती शुरू हुई फिर धीरे धीरे दूसरी जगह होती गई। और फिर ये भारत से विदेशों तक पहुँच गया। 1700 ईसवी के आसपास आम ब्राजील पहुँच गया, यहाँ भी आम की खेती शुरू हो गई, 1740 ईसवी में आम वेस्टइंडीज तक पहुंच गया।

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ऐसे पड़ा मैंगो नाम 

शुरुआत में दक्षिण भारत में आम को “मांगा” और “आमकाय” कहा जाता था। 1498 में जब पुर्तगाली भारत में व्यापार के लिए आये और उन्होंने केरल में मसाला कारोबार का फैसला किया तो वे आम को “मंगा” कहने लगे जो धीरे धीरे “मैंगो” हो गया।

भारत का राष्ट्रीय फल है आम 

आम भारत का राष्ट्रीय फल है। इसके अलावा ये पाकिस्तान और फिलीपींस का भी राष्ट्रीय फल है। इसकी करीब 1500 से अधिक किस्म दुनियाभर में मिलती हैं।  भारत में करीब 2.5 करोड़ टन आम का उत्पादन हर साल  होता है। केरल के कुन्नूर जिले के कननपुरम को स्वदेशी मैंगो हेरिटेज एरिया घोषित किया गया है। यहाँ आम की 200 किस्म की पैदावार होती है।

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आम ऐसे बना “चौसा”

कहा जाता है कि आम की एक किस्म को चौंसा नाम शेरशाह सूरी ने दिया था। 1539 में बिहार के चौसा नामक स्थान पर शेरशाह सूरी ने हुमायूँ को पराजित कर दिया था, जीत की ख़ुशी में जश्न का आयोजन हुआ जिसमें आम भी परोसे गए इसमें शेरशाह सूरी ने अपनी पसंद के स्वादिष्ट आम का नाम चौसा (Mango varieties name story) रख दिया।

ऐसे मिला आम को “लंगड़ा” नाम    

आम को लंगड़ा नाम मिलने के पीछे एक रोचक कहानी है , बताया जाता है कि बनारस में एक दिव्यांग किसान ने अपने बगीचे में आम का एक पेड़ लगाया। जब फल पैदा हुआ तो उसे उसका स्वाद बहुत पसंद आया, फिर उसने और पेड़ लगाए।  जब आम की ये किस्म लोगों तक पहुंची इसका खट्टा मीठा स्वाद लोगों को बहुत पसंद आया। चूँकि आम की इस किस्म की खेती करने वाला किसान पैर से दिव्यांग था तो उसने इस किस्म का नाम लंगड़ा रख दिया।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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