नई दिल्ली:. निर्भया केस में फांसी टालने के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट बुधवार को अहम फैसला सुनाएगी। निर्भया के दोषियों को 1 फरवरी को फांसी होनी थी। पटियाला कोर्ट ने अगले आदेश तक फांसी पर रोक लगा दी थी। इस फैसले के खिलाफ गृह मंत्रालय ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मामले में शनिवार और रविवार को सुनवाई हुई थी, जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। चार दोषियों -विनय, पवन, अक्षय और मुकेश- को पहले 22 जनवरी को सुबह सात बजे फांसी दी जाने वाली थी और बाद में यह समय बदलकर एक फरवरी को सुबह छह बजे कर दिया गया। लेकिन 31 दिसंबर को मुकेश की ओर से ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर की गई कि अन्य दोषियों ने अभी तक अपने कानूनी उपायों का उपयोग नहीं किया है और उन्हें अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती।
केंद्र की मांग, दोषियों को जल्द से जल्द हो फांसी
याचिका में केंद्र सरकार ने मांग की थी कि दोषियों को जल्द से जल्द फांसी हो। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि दोषियों ने कानून की प्रक्रिया का मजाक बना दिया है और फांसी को टालने में लगे हैं। तुषार मेहता ने कहा था, जिन दोषियों की दया याचिका खारिज हो चुकी है, उन्हें तो फांसी दी जा सकती है। तिहाड़ जेल प्रशासन ने भी कहा था कि जिन दोषियों के सारे विकल्प खत्म हो चुके हैं उन्हें फांसी दी जा सकती है।
क्या है निर्भया गैंगरेप का पूरा मामला?
बसंत विहार इलाके में 16 दिसंबर, 2012 की रात को 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा के साथ चलती बस में बहुत ही बर्बर तरीके से सामूहिक दुष्कर्म किया गया। इस जघन्य घटना के बाद पीड़िता को इलाज के लिए सरकार सिंगापुर ले गई जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने बस चालक सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें एक नाबालिग भी शामिल था।इस मामले में नाबालिग को तीन साल तक सुधार गृह में रखने के बाद रिहा कर दिया गया। जबकि एक आरोप राम सिंह ने जेल में खुदकुशी कर ली। फास्ट ट्रैक कोर्ट अदालत ने इस मामले में चार आरोपियों पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। फास्ट ट्रैक कोर्ट के इस फैसले को उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने भी बहाल रखा था।