नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। रिपोर्ट के अनुसार वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कथित तौर पर रवींद्रनाथ टैगोर और एपीजे अब्दुल कलाम के वॉटरमार्क को नए नोटों में जारी करने पर विचार कर रही है। दरअसल वर्तमान में हम जिन नोटों का उपयोग हम करते हैं, वे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हैं। 1969 में भारतीय मुद्रा नोटों पर गाँधी को पहली बार छापा गया था। उस साल उनके 100 वें जन्म समारोह के सम्मान में यह श्रृंखला जारी की गई थी।
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आरबीआई और भारतीय सुरक्षा मुद्रण और टकसाल निगम (एसपीएमसीआईएल) ने गांधी, टैगोर और कलाम के वॉटरमार्क के नमूनों के दो अलग-अलग सेट भेजे हैं। आईआईटी-दिल्ली एमेरिटस प्रोफेसर दिलीप टी शाहनी, जिन्हें दो सेटों में से चुनने और उन्हें सरकार द्वारा अंतिम विचार के लिए पेश करने के लिए कहा गया है। यह पहली बार है जब आरबीआई नोटों पर महात्मा गांधी के अलावा अन्य प्रसिद्ध हस्तियों की छवियों का उपयोग करने पर विचार कर रहा है।
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सरकारी सूत्रों ने कहा है कि एक या तीनों छवियों को चुनने पर अंतिम निर्णय “उच्चतम स्तर” पर लिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, तीन वॉटरमार्क नमूनों की डिजाइनिंग पर आधिकारिक मंजूरी थी। हालांकि अभी तक कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया है। सूत्रों का यह भी कहना है कि 2017 में, आरबीआई की नौ आंतरिक समितियों में से एक, जिसे बैंक नोटों की एक नई श्रृंखला के लिए नई सुरक्षा सुविधाओं की सिफारिश करने के लिए गठित किया गया था, ने 2020 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें प्रस्तावित किया गया कि गांधी के अलावा, टैगोर और कलाम के वॉटरमार्क भी होने चाहिए।
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रवींद्रनाथ टैगोर एक नोबेल पुरस्कार विजेता हैं और उन्हें बंगाल के महानतम प्रतीकों में से एक के रूप में याद किया जाता है, जबकि भारत के 11 वें राष्ट्रपति, एपीजे अब्दुल कलाम को मिसाइल मैन के रूप में भी जाना जाता है। नए नोटों में ऐसे लोगों की तस्वीरें हो सकती हैं जो भारतीय मुद्रा पर पहले कभी नहीं देखी गई थीं।
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2021 में, RBI ने अपने मैसूर स्थित भारतीय रिज़र्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड और होशंगाबाद में SPMCIL की सिक्योरिटी पेपर मिल को वॉटरमार्क नमूनों के अपने सेट तैयार करने के निर्देश जारी किए थे। इसके बाद, आरबीआई और एसपीएमसीआईएल ने उनके नमूने जांच के लिए शाहनी को भेजे। नमूनों के “बेहतर पहलुओं” पर अधिकारियों के साथ शाहनी ने कई दौर की चर्चा की है।
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वर्ष, 2017 में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को आठ सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया था कि देश में मुद्रा नोटों में नेताजी सुभाष चंद्र बोस या किसी अन्य महत्वपूर्ण की तस्वीरें क्यों नहीं हो सकती हैं। यह शहर निवासी पृथ्वी दासगुप्ता की एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद हुआ। जनहित याचिका में दासगुप्ता ने कहा, “हालांकि महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की सफल परिणति के लिए काफी श्रेय हासिल किया है, लेकिन नेताजी का योगदान कम नहीं है।” याचिकाकर्ता ने अपने दावे के समर्थन में कई दस्तावेज कोर्ट में पेश किए।