OLD PENSION SCHEME 2023: आगामी चुनावों से पहले देशभर में पुरानी पेंशन योजना को लेकर बहस जारी है। एक तरफ कांग्रेस ने ओपीएस बहाली का समर्थन करते हुए 3 राज्यों में लागू कर दिया है और त्रिपुरा के घोषणा पत्र में भी सत्ता में आते ही इसे लागू करने का ऐलान किया है। वही दूसरी तरफ सत्ता पक्ष भाजपा, भाजपा शासित प्रदेश और केन्द्र सरकार इसे लागू करने के सपोर्ट में नहीं है, हालांकि कर्मचारियों की मांग पर वे इसका विकल्प ढूंढ़ने में जुटे हुए है। इसी बीच लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड (Bhagwat Karad, Minister Of State For Finance) ने ओपीएस पर बड़ी जानकारी दी है।
ओपीएस पर मोदी सरकार (Modi Govt) ने सदन में जानकारी दी है कि देश के 5 राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल में पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की राज्य सरकारों ने सूचना दी है, आरबीआई की रिपोर्ट ‘स्टेट फाइनेंस: ए स्टडी ऑफ बजट ऑफ 2022-23’ के अनुसार, राजकोषीय संसाधनों में वार्षिक बचत इस कदम पर जोर देती है, वह अल्पकालिक है ये राज्य आने वाले वर्षों में अनफंडेड पेंशन देनदारियों का जोखिम उठा रहे हैं।
फंड को वापस करने का विकल्प नहीं
भागवत कराड ने संसद में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में बताया कि राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकारों ने अपने राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (OPS) को फिर से शुरू करने के अपने फैसले के बारे में केंद्र सरकार को जानकारी दे दी है, साथ ही पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) को भी सूचित कर दिया है।वित्त मंत्रालय ने इसे यह कहते हुए सिरे से खारिज कर दिया है कि PFRDA 2013 और PFRDA regulation 2015 के नियम के मुताबिक ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे NPS में जमा किया गया पुराना पैसा राज्यों को वापस दिया जा सके।
RBI ने भी चेताया
भागवत कराड ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कुछ राज्यों में पुरानी पेंशन व्यवस्था (OPS) लागू किये जाने को लेकर आगाह किया है, RBI ने कहा है कि इससे राज्यों के लिए यह बड़ा जोखिम है क्योंकि इससे आने वाले साल में उनके देनदारी में इजाफा हो जाएगा और इसे चुकाने के लिए पैसों की व्यवस्था नहीं है।रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार NPS से OPS में वापसी के लिए इन राज्यों का सालाना बजट अल्प कालीन आइडिया है, इसमें दूर दृष्टि की कमी है, इससे भविष्य में कर्मचारियों को वापसी में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
इन 3 विकल्पों पर सरकार कर रही विचार
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आगामी चुनावों में पुरानी पेंशन योजना बड़ा मुद्दा ना बन जाए, इसके लिए 3 नए विकल्पों पर विचार कर रही है। पहला आंध्र प्रदेश की तर्ज पर ओल्ड पेंशन की तरह लास्ट सैलरी की आधी रकम तक पेंशन तो मिले, लेकिन उसके लिए कर्मचारी से योगदान लिया जाए। इस संंबंध में सरकार और पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) के बीच चर्चा भी हो चुकी है।
दूसरा यह कि मौजूदा एनपीएस में ही न्यूनतम पेंशन तय कर दी जाए। इसमें न्यूनतम रिटर्न 4 से 5 फीसदी हो सकता है । खबर है कि इस पर काम लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन बोर्ड की मंजूरी बाकी है। वही एनपीएस में मच्योरिटी की 60 फीसदी रकम कर्मचारी के हाथ में चली जाती है। अगर ये पैसा भी पेंशन में लग जाए तो पेंशन की रकम बढ़ जाएगी।वही तीसरा अटल पेंशन योजना की तरह सबको न्यूनतम पेंशन की गारंटी दी जाए। वर्तमान में PFRDA योजना चला रही है, जिसमें योगदान के आधार पर 1000 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक की पेंशन तय है।