पुरानी पेंशन योजना की मांग फिर तेज, कर्मचारियों की बड़ी तैयारी, 2 जून से निकालेंगे साइकिल यात्रा, सरकार को दी ये चेतावनी

Old Pension Scheme : राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना लागू होने के बाद अब हरियाणा में भी OPS की मांग फिर तेज हो गई है। अगले हफ्ते 2 जून को राज्य के कर्मचारी अधिकारी नई पेंशन योजना (एनपीएस) की जगह पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के लिए साइकिल यात्रा निकालेंगे, जो 23 जून को चंडीगढ़ में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के साथ समाप्त होगी। यात्रा के दौरान कर्मचारियों के जत्थे आमजन से ‘वोट फार ओपीएस’ का आह्वान करेंगे।

पेंशन बहाली संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र धारीवाल ने बताया कि राज्य के कर्मचारी अपनी मांगे मनवाने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। सरकार कहती है इससे आर्थिक बोझ पड़ेगा। NPS 10% पैसा हमारी सैलरी में से काटता है और सरकार 14% पैसा आमजन का इस्तेमाल करती है। अगर वह 14 प्रतिशत पैसा अपने पास रखें तो कर्मचारियों को लिए आसानी से OPS लागू किया जा सकता है।

जो मानेगा मांग, उसी को देंगे वोट

समिति का कहना है कि कर्मचारियों के लंबे संघर्ष के बावजूद अबतक कोई बड़ा फैसला नहीं लिया गया है, ऐसे में कर्मचारी अब 2 जून को नांगल चौधरी से OPS संकल्प साइकिल यात्रा शुरू करेंगे जो 23 जून को चंडीगढ़ में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के साथ समाप्त होगी।साइकिल यात्रा के दौरान कर्मचारी लोगों को जागरूक करेंगे। जो युवा मेहनत कर सरकारी नौकरी का सपना देखता है सरकार उसके साथ क्या कर रही है। हम यह संदेश देंगे कि जो हमारी मांग मानेगा वोट उसी को मिलेगा। जो भी राजनीतिक पार्टी हमें ओपीएस देगी या इसको बहाल करने का वादा करेगी, कर्मचारी उसी का चुनाव में साथ देंगे।

नेताओं की पेंशन शुरू होती है तो कर्मचारियों की बंद क्यों?

समिति का कहना है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला कहते हैं कि पुरानी पेंशन की बहाली के लिए संविधान में संशोधन करना होगा, जबकि ऐसा नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 309 के अनुसार केंद्र और राज्य सरकारों को अपने कर्मचारियों के लिए वेतन-भत्ते सहित अन्य सुविधाएं प्रदान करने का अधिकार है। जब एक बार सांसद-विधायक बनने पर ही राजनेताओं की पेंशन शुरू हो जाती है तो लंबी अवधि तक सरकारी नौकरी करने वाले कर्मचारियों की पेंशन क्यों बंद कर दी गई है।


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Pooja Khodani

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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