PM Modi Mother Passes Away : त्याग, तपस्या और बलिदान के साथ जीवन जीने के बाद आखिरकार कर्म योगी हीराबेन ने 100 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मां की जीवन विराम की सूचना ट्विटर के माध्यम से दी। हीरा बा को अहमदाबाद के यूएन मेहता इंस्टीट्यूट आफ कार्डियोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां उन्होंने अंतिम सांस ली है। इसी कड़ी में अपनी मां को लेकर प्रधानमंत्री ने बीते 18 जून को अपनी मां के जन्मदिन पर एक ब्लॉग लिखा था।
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मां, जग का सर्वश्रेष्ठतम रूप है, दुनिया में मां को भगवान का दर्जा दिया जाता है। अगर, माँ ना होती तो शायद हम या आप, हममें से कोई भी ना होता। या यूं कहें कि शायद सृष्टि ही ना होती। मां, ये सिर्फ एक शब्द नहीं है। जीवन की ये वो भावना होती जिसमें स्नेह, धैर्य, विश्वास, कितना कुछ समाया होता है। दुनिया का कोई भी कोना हो, कोई भी देश हो, हर संतान के मन में सबसे अनमोल स्नेह मां के लिए होता है। मां, सिर्फ हमारा शरीर ही नहीं गढ़ती बल्कि हमारा मन, हमारा व्यक्तित्व, हमारा आत्मविश्वास भी गढ़ती है और अपनी संतान के लिए ऐसा करते हुए वो खुद को खपा देती है, खुद को भुला देती है।
संतान होने के बाद मां दुनिया की मोहमाया छोड़कर अपने हिस्से की सारी खुशी और प्यार अपने बच्चे पर लुटा देती है। माँ हमें जिंदगी जीने का सलिखा सिखाती है और वही हमारे जीने का सहारा भी होती हैं। स्पष्ट रूप में कहें तो माँ शब्द को हम शब्दों में बयाँ नही कर सकते। अमूमन हम मन्दिर, मस्जिद, गिरजाघरों में जाते है भगवान को ढूंढने, पर वो हमें धरती पर माँ-बाप के रुप में मिलते हैं। अभी तक भगवान, अल्लाह या ईशु भी माँ की गर्भ में पल कर ही इस दुनिया में जन्म लिया था, तो इस दुनिया में माँ से बड़ा कोई भी नही।
आगे पीएम मोदी ने लिखा था कि, आज मैं अपनी खुशी, अपना सौभाग्य, आप सबसे साझा करना चाहता हूं। मेरी मां, हीराबा आज 18 जून को अपने सौवें वर्ष में प्रवेश कर रही हैं यानि उनका जन्म शताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है। अगर, आज मेरे पिताजी होते तो वो भी पिछले सप्ताह 100 वर्ष के हो गए होते। आज मेरे जीवन में जो कुछ भी अच्छा है, मैं आज जो कुछ भी हुं वो केवल मेरे माता- पिता की वजह से हुं। मां की तपस्या उसकी संतान को सही इंसान बनाती है। मां की ममता उसकी संतान को मानवीय संवेदनाओं से भरती है। मां एक व्यक्ति नहीं है, एक व्यक्तित्व नहीं है, मां एक स्वरूप है।
मेरी मां का बचपन बहुत ज्यादा ही मुश्किलों और तकलिफों से भरा था। बचपन के संघर्षों ने मेरी मां को उम्र से बहुत पहले बड़ा कर दिया था। वो अपने परिवार में सबसे बड़ी थीं और जब शादी हुई तो भी सबसे बड़ी बहू बनीं। बचपन में जिस तरह वो अपने घर में सभी की चिंता करती थीं। सभी का ध्यान रखती थीं, सारे कामकाज की जिम्मेदारी उठाती थीं। वडनगर के जिस घर में हम लोग रहा करते थे वो बहुत ही छोटा था। उस घर में कोई खिड़की नहीं थी, कोई बाथरूम नहीं था, कोई शौचालय नहीं था। पीएम मोदी ने आगे अपने लेख में बताया कि, जहां अभाव रहता है वहां तनाव भी रहता है। मेरे माता-पिता की विशेषता रही कि अभाव के बीच भी उन्होंने घर में कभी तनाव को हावी नहीं होने दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी मां के लिए 100वें जन्मदिन पर 18 जून 2022 को इस ब्लॉग को लिखा था। जिनमें उनके मां की बचपन की यादें, पारिवारिक स्थिति आदि का जिक्र किया था और साल के आखिर में हीराबेन ने दुनिया को अलविदा कह दिया। बता दें कि 27 दिसंबर की शाम अचानक हीराबा की तबीयत बिगड़ जाने के बाद उन्हें आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट और रिसर्च सेंटर में भर्ती कराया जाने के बाद डॉक्टरों द्वारा उनका एमआरआई और सीटी स्कैन किया गया। जिसके बाद गुरुवार को अस्पताल से बयान जारी करते हुए कहा गया कि हीराबा की तबीयत में सुधार है। अचानक शुक्रवार की सुबह हीरा बा ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
वहीं, हीराबा के निधन की खबर मिलते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहमदाबाद के लिए रवाना हुए हैं। हालांकि, आज उन्हें कोलकाता मेट्रो लाइन का उद्घाटन करना था लेकिन उनका कोलकाता जाने का कार्यक्रम रद्द हो गया है।