PM Narendra Modi : आखिर क्या है यह ‘मिनी कॉन्स्टीट्यूशन’? जिसे लेकर PM Modi ने संसद में कांग्रेस को घेरा, इस खबर में जानिए

PM Narendra Modi : लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान PM मोदी ने कांग्रेस पर तीखे हमले किए, विशेष रूप से राहुल गांधी को निशाना बनाते हुए 38वें, 39वें और 42वें संविधान संशोधन को 'मिनी संविधान' कहकर संबोधित किया।

Rishabh Namdev
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PM Narendra Modi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया भाषण के बाद ‘मिनी संविधान’ की चर्चा जोरों पर है। दरअसल संसद सत्र 2024 के दौरान, लोकसभा में PM मोदी ने कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया, विशेष रूप से राहुल गांधी को लक्ष्य बनाते हुए। उन्होंने 38वें, 39वें और 42वें संविधान संशोधनों पर अपनी बात रखी। आज इस खबर में आइए जानते हैं, ‘मिनी संविधान’ का क्या अर्थ है और इसका क्या महत्व है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण

दरअसल लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। अपने भाषण में उन्होंने राहुल गांधी पर भी तीखा प्रहार किया और कांग्रेस को ‘परजीवी पार्टी’ तक कह डाला। मोदी ने अपने संबोधन में इमरजेंसी के दौरान किए गए 38वें, 39वें और 42वें संविधान संशोधनों को ‘मिनी संविधान’ का नाम दिया।

मिनी कॉन्स्टीट्यूशन का किया जिक्र:

प्रधानमंत्री मोदी ने आपातकाल का जिक्र करते हुए कहा कि, “संविधान की आत्मा को आहत करने का पाप इन्हीं लोगों ने किया था। 38वां, 39वां और 42वां संविधान संशोधन, जिन्हें मिनी संविधान कहा जाता है, इन्हीं के द्वारा किए गए थे। यह पाप आप सबने मिलकर किया है।”

क्या है 38वां और 39वां संशोधन?

38वां संशोधन: बता दें कि यह संशोधन 22 जुलाई 1975 को इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा किया गया था। इस संशोधन में मुख्य बिंदु पर हम नजर डालें तो इसमें न्यायपालिका से आपातकाल की समीक्षा का अधिकार छीन लिया गया था।

39वां संशोधन: जबकि यह संशोधन 38वें संशोधन के लगभग दो महीने बाद किया गया था। यह संशोधन इसलिए लाया गया था क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर दिया था, जिसमें चुनाव में धांधली के आरोप लगाए गए थे।

सबसे विवादित 42वां संशोधन :

दरअसल अब तक के सभी संशोधनों में सबसे विवादित 42वां संशोधन रहा है। यह संशोधन 1976 में किया गया था और इसे “मिनी कॉनस्टीट्यूशन” के नाम से जाना जाता है। जानकारी के अनुसार इस संशोधन के तहत संविधान की प्रस्तावना में तीन नए शब्द- समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता जोड़े गए थे। 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने पर 44वें संविधान संशोधन के माध्यम से इसे संशोधित किया गया था।

संशोधन की प्रमुख बातें:

-‘किसी भी आधार पर संसद के फैसले को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती थी।’
-‘सांसदों और विधायकों की सदस्यता को भी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती थी।’
-‘संसद का कार्यकाल भी पांच साल से बढ़ाकर छह साल कर दिया गया था।’

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण ने ‘मिनी संविधान’ के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया है। 38वां, 39वां और 42वां संविधान संशोधन, जो इमरजेंसी के दौरान किए गए थे, को आज भी भारतीय राजनीति और संविधान के इतिहास में महत्वपूर्ण माना जाता है।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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