नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। पूर्व कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया से जुड़े 2010 में ऑडियो टेप के लीक होने की जांच की मांग करने वाली उद्योगपति रतन टाटा की याचिका पर आज आठ साल के अंतराल के बाद सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। रतन टाटा ने कहा है कि ऑडियो लीक होना उनके निजता के अधिकार (right to privacy) का उल्लंघन है। उन्होंने 2011 में याचिका दायर की थी, जिसपर तीन साल बाद आखिरी बार 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की थी।
नीरा राडिया की उद्योगपतियों, पत्रकारों, सरकारी अधिकारियों और प्रमुख पदों पर बैठे अन्य लोगों के साथ फोन पर हुई बातचीत को एक दशक पहले टैक्स की जांच हिस्से के रूप में टैप किया गया था। इस दौरान नीरा की जनसंपर्क फर्म वैष्णवी कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस ने उद्योगपति मुकेश अंबानी को भी अपने ग्राहकों में गिना था। जब उनके फोन पहले 2008 में और फिर 2009 में टैप किए गए थे। नीरा की जनसंपर्क फर्म वैष्णवी कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस अब बंद हो चुकी है।
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अगस्त 2012 में, रतन टाटा ने सुप्रीम कोर्ट से सरकार द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट की एक प्रति के बारे में पूछा था कि टेप कैसे लीक हो गया। इस टेप को बाद में “राडिया टेप” के रूप में जाना जाने लगा था। नीरा राडिया के साथ रतन टाटा की बातचीत 2010 में मीडिया द्वारा की गई बातचीत में से एक थी। इसके बाद वह सरकार को यह तर्क देते हुए अदालत में ले गए थी कि टेपों को जारी करना उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि निजता एक संवैधानिक अधिकार है। नौ न्यायाधीश इससे सहमत थे, जिन्होंने अपने सहमति के लिए विभिन्न कारणों का हवाला दिया। निजता के अधिकार पर फैसला भी सरकार के लिए एक बड़ा झटका था। इस दौरान सरकार ने तर्क दिया था कि एक अनिवार्य मौलिक अधिकार के रूप में संविधान व्यक्तिगत गोपनीयता की गारंटी नहीं देता है। तत्कालीन कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दावा किया था कि न्यायाधीशों ने सहमति व्यक्त की है कि “मौलिक अधिकार के रूप में गोपनीयता उचित प्रतिबंधों के अधीन है।”