Sawan 2023 : सावन का महीना शुरू होने वाला है और इस महीने का इंतजार भक्त बेसब्री से भक्त करते हैं। सावन के महीने को बेहद पवित्र माना जाता है। इस महीने में की गई पूजा अर्चना का लाभ भी भक्तों को काफी ज्यादा मिलता है क्योंकि भोलेनाथ का सावन महीना बेहद प्रिय होता है। ऐसे में वह भक्तों से प्रसन्न होकर उनकी हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं।
खास बात यह है कि सावन के महीने में भक्तों देशभर के प्रसिद्ध महादेव मंदिर के दर्शन करने के लिए जाना पसंद करते हैं। अगर आप भी ऐसा वन महादेव के प्रसिद्ध मंदिरों में दर्शन करने जाने का प्लान बना रहे हैं तो आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो 214 साल पुराना है। उस मंदिर में 108 शिवलिंग की पूजा एक साथ की जाती है।
जी हां, यह मंदिर पश्चिम बंगाल राज्य के पूर्व बर्दवान जिले में स्थित है। यहां दूर-दूर से भक्त भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए आते हैं. कहा जाता है कि यहां भगवान शिव की पूजा करने से 108 बार भोलेनाथ की पूजा करने का फल प्राप्त होता है। यह एक ऐसा मंदिर है जहां 108 शिवलिंग स्थापित है। मंदिर को नव कैलाश मंदिर के नाम पर जाना जाता है। यह भारत का सबसे अनोखा और खूबसूरत मंदिर है। चलिए जानते हैं नव कैलाश मंदिर के इतिहास के बारे में –
Sawan 2023 : 108 नव कैलाश मंदिर का इतिहास
नव कैलाश मंदिर को 18 वीं शताब्दी में बनाकर तैयार किया गया था। मान्यताओं के अनुसार एक रात राजा तिलकचंद्र की विधवा पत्नी रानी विष्णु कुमारी को सपने में भगवान शिव ने मंदिर के निर्माण का आदेश दिया था। जिसके बाद साल 1809 में महाराजा तेज चंद्र बहादुर द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया गया। नव कैलाश शिव मंदिर परिसर में 108 शिवलिंग स्थापित है। हर शिवलिंग के लिए छोटे छोटे आकार में आठचाला संरचना वाली मंदिर बनाई गई है।
बता दे, गोलाकार में कुल 108 मंदिर बनाए गए हैं। पहली गोलाई में 74 और दूसरी गोलाई में 34 शिव मंदिर हैं। इस मंदिर में शिवलिंग की पूजा का जिम्मा 12 पुजारियों पर है। 108 नव कैलाश शिव मंदिर सुबह 6 बजे से दोपहर 12 और शाम को 4 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहता है। सावन के दौरान इस मंदिर में भक्तों की काफी ज्यादा भीड़ जमा रहती है।