नई दिल्ली।
कोरोना संकटकाल (Corona crisis) के बीच प्रवासी मज़दूरों (Migrant laborers) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने बड़ा फैसला लिया है।कोर्ट ने आदेश जारी कर कहा है कि मजदूरों से ट्रेन या बस का कोई किराया न लिया जाए, राज्य सरकार किराया दे। आदेश में कहा गया है जो जहां फंसा है उसे वहां की राज्य सरकार भोजन दे, उन तक जानकारी पहुंचाई जाए कि मदद कहां उपलब्ध है।बता दे कि लॉकडाउन के बाद देशभर से प्रवासी मजदूर अपने गांव पहुंच रहे है, जिसमें सामने आया था कि मजदूरों से किराया वसूला जा रहा है , इसको लेकर विपक्ष ने भी सवाल उठाए थे।
दरअसल, लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया था। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि कुल प्रवासियों का 80 प्रतिशत उत्तर प्रदेश और बिहार से हैं। अब तक 91 लाख प्रवासी स्थानांतरित हुए हैं। ये एक अभूतपूर्व संकट है और हम अभूतपूर्व उपाय कर रहे हैं। जिसके बाद कोर्ट ने अंतरिम आदेश में कहा, मजदूरों से ट्रेन या बस का कोई किराया न लिया जाए, राज्य सरकार किराया दे।अगले शुक्रवार यानी 5 जून को आगे की सुनवाई। केंद्र और राज्य विस्तृत जवाब दाखिल करेंगे। आज दिए गए निर्देशों का तत्काल पालन होगा।
सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई के कुछ अंश
-सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि प्रवासी मजदूरों को टिकट कौन दे रहा है, उसका भुगतान कौन कर रहा है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टिकट के पेमेंट के बारे में कंफ्यूजन है और इसी कारण मिडिल मैन ने पूरी तरह से शोषण किया है।
-केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सरकार मजदूरों के लिए काम कर रही है लेकिन राज्य सरकारों के जरिए उनतक नहीं पहुंच रही है, कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटानएं हुई हैं।
-सॉलिसिटर जनरल ने कहा केद्र सरकार ने तय किया है कि प्रवासी मजदूरों को शिफ्ट किया जाएगा, सरकार तब तक प्रयास जारी रखेगी जब तक एक भी प्रवासी रह जाते हैं तब तक ट्रेन चलती रहेंगी।
-सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार ने अभी 3700 ट्रेने प्रवासी मजदूरों के लिए चला रखीं है, अभी तक 50 लाख प्रवासी मजदूर अपने गांव जा चुके हैं।
-सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पड़ोसी राज्यों के सहयोग से 40 लाख को सड़क से शिफ्ट किया गया है। मेहता ने कहा कि एक मई से लेकर 27 मई तक कुल 91 लाख प्रवासी मजदूर शिफ्ट किए गए हैं