भारत में कब आया वक्फ? क्या है इसका इतिहास? यहां जानिए कब हुई इसकी शुरुआत!

जब इस्लाम भारत में आया था, उसी समय देश में वक्फ की आमद भी मानी जाती है। हालांकि, इतिहास में इसे लेकर कुछ साफ नहीं लिखा गया है कि इसकी शुरुआत कब हुई, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह इस्लाम के आने के साथ ही हुआ।

इस समय वक्फ बिल पर बहस छिड़ी हुई है। सवाल उठता है कि आखिर वक्फ भारत में सबसे पहले कब आया और इसकी शुरुआत किस शासक ने की? हालांकि, इसका इतिहास जानना बेहद पेचीदा हो सकता है क्योंकि इसे लेकर इतिहास में भी बहुत स्पष्ट रूप से नहीं लिखा गया है कि इसकी शुरुआत कब हुई। लेकिन माना जाता है कि जिस दौरान भारत में इस्लाम आया, उसी दौरान भारत में वक्फ की आमद भी हुई थी।

आइए, इस खबर में वक्फ से जुड़े कुछ जरूरी सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं। यह जवाब आपको इसके इतिहास के बारे में जानकारी देंगे। बता दें कि आज संसदीय कार्य एवं कल्याण मंत्री किरण रिजिजू द्वारा वक्फ बोर्ड संशोधन बिल लोकसभा में पेश किया गया।

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कब हुई इसकी शुरुआत?

सबसे पहले समझते हैं कि आखिर वक्फ क्या है। बता दें कि यह शब्द अरबी भाषा से बना हुआ है, जिसका ओरिजिन वकूफा है, जिसका अर्थ होता है ठहरना या रोकना। यानी वक्फ का मतलब ठहरता या रोकना होता है। इस्लाम में इसका मतलब उस संपत्ति से बताया गया है जो जनकल्याण के लिए दी गई हो। इसे एक दान की तरह समझा जा सकता है। कोई भी दानदाता अचल या चल संपत्ति को इस सिद्धांत के तहत दे सकता है। जब संपत्ति दान कर दी जाती है, तो उसे संरक्षित करने वाले को ही वक्फ कहा जाता है। इसमें जमीन, मैदान, खेत, घर ही नहीं, बल्कि पंखा, कूलर, टीवी, फ्रिज या कुछ भी शामिल हो सकते हैं।

मोहम्मद गोरी ने अपनी इस्लामी ताकत को और बढ़ाने की कोशिश की

ऐसा माना जाता है कि वक्फ की संपत्ति की शुरुआत दो गांव के दान से की गई थी। इन गांवों का कनेक्शन मोहम्मद गोरी से था। 12वीं शताब्दी के दौरान पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद मोहम्मद गोरी ने अपनी इस्लामी ताकत को और बढ़ाने की कोशिश की थी। इसके लिए मुसलमानों की शिक्षा और उनकी इबादत के लिए मुल्तान की जामा मस्जिद को दो गांव दान दिए गए थे। भारत में इसे वक्फ के पहले उदाहरण के रूप में माना जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रेलवे और भारतीय सैन्य सेवा के बाद वक्फ बोर्ड भारत का तीसरा सबसे बड़ा जमींदार है। इसकी शुरुआत 12वीं शताब्दी के अंत में मानी जाती है, जब तत्कालीन भारत के पंजाब के मुल्तान में इसकी नींव रखी गई थी और दिल्ली में राज करने वाले सुल्तानों के शासनकाल तक इसका प्रभाव फैला गया।


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Ronak Namdev

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मैं रौनक नामदेव, एक लेखक जो अपनी कलम से विचारों को साकार करता है। मुझे लगता है कि शब्दों में वो जादू है जो समाज को बदल सकता है, और यही मेरा मकसद है - सही बात को सही ढंग से लोगों तक पहुँचाना। मैंने अपनी शिक्षा DCA, BCA और MCA मे पुर्ण की है, तो तकनीक मेरा आधार है और लेखन मेरा जुनून हैं । मेरे लिए हर कहानी, हर विचार एक मौका है दुनिया को कुछ नया देने का ।

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