World Water Day : जल ही जीवन है, आइए इस विश्व जल दिवस पर लें पानी बचाने का संकल्प

पानी के बिना जीवन संभव नहीं है। दिनोंदिन बढ़ता जलसंकट चेतावनी है कि अगर हमने अभी से पानी बचाने के उपाय नहीं किए, तो भविष्य में स्थिति और भयावह हो सकती है। धरती पर जितना पानी है, उसका सिर्फ 2.5% ही फ्रेश वॉटर है और इसमें से भी 1% से कम हिस्सा ही आसानी से पीने या इस्तेमाल के लिए उपलब्ध है। बाकी बर्फ के रूप में ग्लेशियरों में या जमीन के नीचे बंद है। इसीलिए हमें अपने अपने स्तर पर पानी बचाने के लिए गंभीर प्रयास करने की जरूरत है।

World Water Day : ‘रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून’..जीवन के लिए हवा के बाद सबसे महत्वपूर्ण है पानी। पानी हमारी जिंदगी का आधार है। पीने के अलावा खाना बनाने, नहाने, खेती करने और फैक्ट्रियों को चलाने तक हर चीज़ के लिए पानी चाहिए। लेकिन आज दुनिया में पानी की कमी एक बड़ी समस्या बन रही है। अगर हम इसे नहीं बचाएंगे तो आने वाली पीढ़ियों को बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। इसी बात पर ध्यान दिलाने और जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए ‘विश्व जल दिवस’ मनाया जाता है।

पानी की बर्बादी रोकना इसलिए जरूरी है क्योंकि धरती पर जितना पानी है, उसका बहुत कम हिस्सा ही हमारे इस्तेमाल के लायक है। बढ़ती आबादी, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन ने जल संकट को और गंभीर बना दिया है। दुनिया की एक बड़ी आबादी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं है। आज का दिन दिवस लोगों को जल संकट और उसके समाधान पर सोचने के लिए प्रेरित करता है।

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पानी की उपलब्धता और जलसंकट

धरती का करीब 71% हिस्सा पानी से ढका हुआ है। यानी समुद्र, नदियां, झीलें और ग्लेशियर सब मिलाकर ढेर सारा पानी है। लेकिन इसका 97.5% हिस्सा खारा पानी है जो समुद्रों में है और पीने या रोज़मर्रा के काम के लिए इस्तेमाल नहीं हो सकता। इसका मतलब है कि इंसान के उपयोग के लिए सिर्फ करीब 2.5% साफ पानी ही बचता है। और अफसोस की बात ये है कि हमारी गलतियों जैसे  प्रदूषण, पानी की बर्बादी और जलवायु परिवर्तन के कारण ये कीमती पानी दिनों दिन कम होता जा रहा है। इसीलए हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है ताकि जल संरक्षण और सतत जल प्रबंधन की आवश्यकता के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।

विश्व जल दिवस का महत्व

विश्व जल दिवस हमें याद दिलाता है कि पानी हमारी जिंदगी का सबसे अनमोल तोहफा है। बिना पानी के न प्यास बुझ सकती है, न खेत हरे रह सकते हैं, न पेट भर सकता है, न ही हमारा रोज़ का काम चल सकता है। लेकिन आज दुनिया के कई स्थानों पर जलसंकट एक गंभीर समस्या बन गया है। बढ़ता प्रदूषण, फैक्ट्रियों का गंदा पानी, प्लास्टिक और कचरा नदियों-झीलों में मिल रहा है, जिससे साफ पानी गंदा हो रहा है। ग्लोबल वॉर्मिंग से ग्लेशियर पिघल रहे हैं और बारिश का पैटर्न बिगड़ गया है। कहीं सूखा पड़ रहा है, तो कहीं बाढ़ आ रही है। पानी का ज़्यादा और बेज़ा इस्तेमाल भी एक बड़ी वजह है। कई लोग पानी को बेकार बहाते हैं, जैसे नल खुला छोड़ना या खेती में ज़रूरत से ज़्यादा पानी इस्तेमाल करना। भूजल का दोहन, जंगलों की कटाई भी पानी की कमी के बड़े कारण हैं।

विश्व जल दिवस का इतिहास

विश्व जल दिवस मनाने का विचार 1992 में संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा आयोजित “रियो डी जनेरियो पृथ्वी सम्मेलन” (Earth Summit) में सामने आया। इस सम्मेलन में जल संकट और सतत विकास पर चर्चा हुई और जल संरक्षण के प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की गई। इसके बाद, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 22 दिसंबर 1992 को एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें हर साल 22 मार्च को “विश्व जल दिवस”मनाने का निर्णय लिया गया। पहली बार ये दिन 22 मार्च 1993 को मनाया गया था। तब से, हर साल यह दिवस अलग-अलग थीम के साथ मनाया जाता है।

इस साल की थीम

इस बार 2025 में विश्व जल दिवस की थीम है “ग्लेशियर संरक्षण”। इसका मतलब है कि ग्लेशियर यानी बर्फ के पहाड़ दुनिया भर में साफ पानी को बनाए रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं और हमें इनका संरक्षण करने के हरसंभव प्रयास करने चाहिए। ग्लेशियरहमें पीने का पानी, खेती और नदियों के लिए पानी देते हैं। लेकिन जलवायु परिवर्तन की वजह से ये तेज़ी से पिघल रहे हैं। इन्हें बचाना बहुत ज़रूरी है, वरना आने वाले दिनों में पानी की बड़ी समस्या हो सकती है। पानी हम सबकी जिंदगी है और उसे बचाने की जिम्मेदारी भी साझा है। आइए इस विश्व जल दिवस पर हम मिलकर संकल्प लें की बूंद-बूंद पानी बचाएंगे और अपने आसपास के लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे। छोटे-छोटे कदम जैसे नल को ठीक करना, कम पानी इस्तेमाल करना और बारिश का पानी जमा करना जैसे उपाय हमारे कल को सुरक्षित बना सकते हैं।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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