योग दिवस: पीएम बोले कोरोना में योग बना उम्मीद की किरण, दुनिया को मिला M-Yoga एप

Atul Saxena
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट।  भारत की ऋषि मुनियों की युगों पुरानी परंपरा आज पूरा विश्व योग दिवस (International Yoga Day) के रूप में मनाता है।  भारत के हर हिस्से में योग से जुड़े आयोजन  हो रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर देश को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि कोरोना (Corona) जैसी महामारी में योग लोगों के लिए एक उम्म्मीद की किरण बना, योग ने लोगों का आत्मबल बढ़ाया जिसने कोरोना से जंग लड़ने में महत्वपूर्ण भमिका निभाई।

आज विश्व 7 वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रहा है।  हालाँकि विश्व के देशों के लिए ये सदियों पुराणी परंपरा नहीं है लेकिन जब से भारत की पहल के बाद यूनाइटेड नेशंस  जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की घोषणा की है तब से दुनिया के कई देशों में योग के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।

योग के प्रति उत्साह में कमी नहीं आई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर देश को सम्बोधित किया।  उन्होंने  कहा कि आज जब पूरा विश्व  से युद्ध लड़ रहा है ऐसे में योग एक उम्मीद की किरण बना हुआ है।  पूरी दुनिया सहित भारत में भले ही कोई सार्वजानिक कार्यक्रम नहीं हुए हो लेकिन योग के प्रति उत्साह में कहीं कोई कमी नहीं है।

योग बना आत्मबल बढ़ाने में सहायक   

पीएम मोदी ने कहा कि जब कोरोना का अदृश्य वायरस  तब कोई भी देश साधनों , सामर्थ्य  अवस्था से इस अदृश्य वायरस से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं था लेकिन हमने देखा कि ऐसे कठिन समय में योग आत्मबल बढ़ने का एक सशक्त माध्यम बना।

भारत ने दिया M-Yoga एप 

पीएम नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर कहा कि जब भारत ने यूनाइटेड नेशंस में अंतर राष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव रखा था तो  यही भावना थी कि योग विज्ञान सभी के लिए सुलभ हो।  आज इस दिशा में भारत ने यूनाइटेड नेशंस, WHO के साथ मिलकर एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है।  अब विश्व को M Yoga एप की शक्ति मिलने वाली है।  इस एप में कॉमन योग प्रोटोकॉल के आधार पर योग प्रशिक्षण के कई वीडियो दिनिया की अलग अलग भाषाओँ में उपलब्ध होंगे।

योग फॉर वेलनेस है इस बार की थीम 

गौरतलब है कि इस बार योग दिवस की थीम योग फॉर वेलनेस है जो शारीरिक और मानसिक के लिए योग का अभ्यास करने पर केंद्रित है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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