13 साल पहले पति ने अपनी पत्नी को छोड़, कर दिया था बेसहारा, आज बुरे वक्त में वहीं बनी सहारा

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। अक्सर फिल्मों में देखा जाता है कि पति द्वारा अपनी पत्नी को बेसहारा छोड़ देता है, फिर कुछ ऐसा होता है कि पति को बाद में पछतावा करना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला भोपाल (Bhopal) से सामने आया है, जहां 13 साल पहले पत्नी को तलाक (Divorce wife) देकर उसके पति ने महिला को बेसहारा (Destitute) छोड़ दिया था, लेकिन आज उसके बुरे वक्त पर उसकी पत्नी ही सहारा बन कर उसके साथ खड़ी है। बता दें कि महिला के पति को कैंसर की बीमारी (Cancer disease) का पता तब चला जब उसकी बीमारी तीसरे चरण पर थी। जिसके बाद उसके परिवार वालों ने भी उसका साथ छोड़ दिया। इसकी जानकारी लगते ही महिला ने बीती बातों को भूलाते हुए अपने पति का साथ देने का निर्णय लिया और आज वह अपने पति का सहारा बनी है।

ऐसे हुए थे अलग

जानकारी के अनुसार, दोनों की शादी 13 साल पहले हुई थी। और पत्नी गीत-संगीत की शौकीन थी, जिसके कारण वह शादी के बाद भी अपना संगीत नहीं छोड़ना चाहती थी और हर दिन रियाज किया करती थी, लेकिन उसके ससुराल पक्ष को बहू का गीत-संगीत करना पंसद नहीं था। जिसकी वजह से घर में हर दिन विवाद होने लगा और इस विवाद में उसके पति ने भी अपने परिवारवालों का साथ देते हुए अपनी पत्नी को तलाक दे दिया।

आज महिला है सरकारी अफसर

पति अलग होने के बाद महिला ने अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए खुद के पैरों पर खड़े होने का निर्णय ले लिया। जिसके बाद महिला ने अपनी पढ़ाई निरंतर जारी रखते हुए कड़ी मेहनत की और आज वह एक सरकारी अफसर के रूप में अच्छे पोस्ट पर पहुंच गई है।

परिवारवालों ने छोड़ा बेसहारा, पूर्व पत्नी बनी सहारा

किस्मत का खेल कब पलट जाए यह किसी को नहीं पता। ऐसा ही कुछ हुआ है इन दोनों पति-पत्नी के बीच, जहां जिस पति ने अपनी पत्नी को बेसहारा छोड़ दिया था, आज वही कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी के चलते जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है। जिसे अपनी बीमारी का पता 2018 में तब चला जब उसकी बीमारी तीसरे स्टेज पर पहुंच गई थी। वही बीमारी का पता चलते ही उसके परिवार वालों ने भी बुरे वक्त में उसका साथ छोड़ दिया।

गिले-शिकवे भूलाकर महिला ने दिया पति का साथ

महिला को अपने पति के कैंसर की जानकारी अपने एक दोस्त से मिली। जिसके बाद क्या था, महिला ने तुरंत ही अपनी सारी कड़वाहट को भूलाकर अपने पति का साथ देने का निर्णय लिया। फिर अपने पति को अपने घर लेकर आई। जिसके बाद उसके इलाज के लिए उसे एक अच्छे अस्पताल में दिखाया, जहां से अब उसका इलाज चल रहा है।

दोस्त कर रहा दोनों को एक करने की कोशिश

महिला के पति के दोस्त के द्वारा दोनों को फिर से एक करने का प्रयास किया जा रहा है। जिसके लिए उसके दोस्त ने कुटुंब न्यायालय (Family court) में दोनों की काउंसलिंग के लिए आवेदन भी दिया है। नारी को हमेशा त्याग और प्रेम से भरी मूरत के रूप में देखा जाता है। जिसे आज इस महिला ने साबित कर दिया, क्योंकि तलाक के बाद फिर से अपने पति के बुरे वक्त में सहारा बनना किसी पत्नी के लिए आसान नहीं होता है। इस कार्य के लिए लोग महिला की सराहना कर रहे है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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