ये कैसी आस्था! 25 साल के युवक ने अपना गला काट कर खून चढ़ाया शिवलिंग पर,मौत

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। महादेव (Mahadev) को देवों के देव कहा जाता है और ऐसा माना जाता है कि अगर महादेव (Mahadev) को खुश करना है तो वह मात्र बेलपत्र (belpatra) से भी खुश हो जाते है। लेकिन भोले के भक्त (Shiva Devotee) उन्हें खुश (happy) करने के चलते कथित तौर पर कुछ ऐसा कर जाते है जो सबको हैरान (Shock) कर जाता है।

एक ऐसा ही मामला महाराष्ट्र (Maharashtra) के औरंगाबाद (Aurangabad) के पैठन (Paithan) से सामने आया है, जहां एक 25 साल के व्यक्ति ने शिव मंदिर (Shiva Temple) में अपना गला काट (Split throat) कर उस खून (Blood) को शिवलिंग (Shivling) पर चढ़ा (Offered) दिया।

यह पूरा मामला महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के पैठन के महादेव मंदिर (Shiv Temple) का है, जहां गला काटकर (Split Throat) खून (blood) चढ़ाने के बाद 25 साल के व्यक्ति की मौत (Demise) हो गई। बताया जा रहा है कि पुलिस (Police) को शक है कि व्यक्ति ने अघोरी प्रथा (Aghori custom) के एक पाठ के रूप में इस कदम को उठाया था। मृत व्यक्ति की पहचान नंदू घुंगासे (Nandu Ghungase) से के रूप में हुई है। मृतक नंदू घुंगासे महाराष्ट्र के कहारवाड़ गांव में मछुआरे का काम करता है। वहीं इस घटना को देखने वालों में चार लोग शामिल है।

ये घटना महाराष्ट्र के पैठण शहर के गगभट्ट चौक में सिद्धि अली दरगाह के पास स्थित एक शिव मंदिर (Shiv Temple) में घटित हुआ, जहां बिहारी परदेसी नाम का व्यक्ति शिव मंदिर में पूजा करने गया था, जहां उसने घूंगासे को इस घटना को अंजाम देते हुए देखा। बिहारी परदेसी ने पूरे मामले की जानकारी तत्काल पुलिस को दी। जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस द्वारा घूंगासे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।

वहीं इस पूरे मामले को लेकर एक प्रत्यक्षदर्शी (Eyewitness) ने बताया कि घूंगासे ने शिव मंदिर में गला काटा और अपने खून को शिवलिंग पर चढ़ाया दिया। प्रत्यक्षदर्शी (Eyewitness) का कहना है कि उनमें से कोई भी आगे इसलिए नहीं आया क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं उसकी मौत के लिए उन लोगों को दोषी नहीं ठहरा दिया जाए।

बता दे कि शुरुआत में प्रत्यक्षदर्शी मामले के बारे में पूरी जानकारी देने के लिए तैयार नहीं थे। लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों में से एक व्यक्ति ने पुलिस को बाद में घटना की पूरी डिटेल्स दी। घटनाओं की सीरीज का पता लगने के बाद पुलिस ने सभी आईविटनेस के स्टेटमेंट्स को क्रॉस चेक (cross check) किया। यह शक जताया जा रहा है कि व्यक्ति ने अघोरी प्रथा (Aghori Custom) के चलते इस कठोर कदम को उठाया था।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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