ये कैसी आस्था! 25 साल के युवक ने अपना गला काट कर खून चढ़ाया शिवलिंग पर,मौत

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। महादेव (Mahadev) को देवों के देव कहा जाता है और ऐसा माना जाता है कि अगर महादेव (Mahadev) को खुश करना है तो वह मात्र बेलपत्र (belpatra) से भी खुश हो जाते है। लेकिन भोले के भक्त (Shiva Devotee) उन्हें खुश (happy) करने के चलते कथित तौर पर कुछ ऐसा कर जाते है जो सबको हैरान (Shock) कर जाता है।

एक ऐसा ही मामला महाराष्ट्र (Maharashtra) के औरंगाबाद (Aurangabad) के पैठन (Paithan) से सामने आया है, जहां एक 25 साल के व्यक्ति ने शिव मंदिर (Shiva Temple) में अपना गला काट (Split throat) कर उस खून (Blood) को शिवलिंग (Shivling) पर चढ़ा (Offered) दिया।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।