Betul – ईमानदारी की मिसाल : युवती रीता ने 1.20 लाख रुपय से भरा बैग किसान को लौटाया

Gaurav Sharma
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बैतूल, डेस्क रिपोर्ट। आज भी समाज में ईमानदारी ( honesty) जिंदा है, इसकी मिसाल पेश की है मध्यप्रदेश के बैतूल (betul)  जिले की एक युवती रीता ने। बता दें कि बैतूल जिले की युवती को बस में यात्रा ( bus travel) के दौरान एक किसान का 1 लाख 20 हजार रुपयों से भरा एक बैग ( bag) मिला, जिसे युवती रीता ने अपनी ईमानदारीी( honesty)  दिखाते हुए पुलिस को सौंप दिया।

रुपयों से भरा बैग लेकर थाने पहुंची युवती

युवती रीता को पैसों से भरा बैग एक बस में मिली, जिसके बाद अपनी ईमानदारी दिखाते हुए युवती बैग को लेकर पास के ही पुलिस स्टेशन पहुंची, जहां उसने बैग पुलिस को सौंप दी। वहीं पुलिस ने रुपयों से भरा बैग किसका है यह पता करवाया, तो मालूम चला कि यह एक किसान का है। जिसके बाद पुलिस ने उसकी मेहनत की कमाई किसान को वापस लौटा दी। इसके बाद युवती की इमानदारी की चर्चाएं पूरे क्षेत्र में हो रही है, साथ ही सभी उनसे प्रेरणा भी ले रहे हैं।

पुलिस ने किसान को सौंपा बैग

पुलिस ने बताया कि बैतूल के बाजार निवासी किसान राजा रमेश साहू अपनी गोभी की फसल बेचने भोपाल गया था। भोपाल से लौटते समय किसान का एक लाख बीस हजार रुपयों से भरा बैग बस में छूट गया। वहीं उसी बस में सफर कर रही युवती रीता को रुपयों से भरा बैग मिला, जिसे उसने खोलकर देखा तो उसमें करीब 1 लाख 20 हजार रुपए थे। जिसके बाद युवती रीता ने ईमानदारी का परिचय देते हुए बैग को पास के साईंखेड़ा पुलिस स्टेशन लेकर पहुंची, जहां से पुलिस ने बस मालिक की मदद से बैग के असली मालिक का पता लगाते हुए पूरा रुपयों से भरा बैग किसान को सौंप दिया है।

पहले भी समाज में पेश कर चुकी है मिसाल

साईंखेड़ा थाना प्रभारी रत्नाकर हिंग्वे ने कहा कि रीता पहले भी ईमानदारी का परिचय दे चुकी है। थाना प्रभारी ने कहा कि रीता के पिता के खाते में गलती से एक बार 42 हजार रुपए चले गए थे। जिसके बाद रीता ने वह रुपए उसके असली मालिक के पास पहुंचाकर मिसाल पेश की थी। युवती रीता के ईमानदारी की सराहना करते हुए थाना प्रभारी ने यह जानकारी अपने सीनियर ऑफिसर्स को दी। साथ ही युवती रीता को सम्मानित भी किया।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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