क्षमता से अधिक लकड़ी मिलने पर वन विभाग ने आरा मशीन संचालक के खिलाफ की कार्रवाई

Gaurav Sharma
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मुरैना,संजय दीक्षित। वन विभाग की टीम के साथ डीएफओ, एसडीओ और रेंजर ने आज अंबाह रोड पर स्थित बंटी गौड़ की आरा मशीन पर पहुंच कर निरीक्षण किया। जहां निरीक्षण के दौरान आरा मशीन परिसर में क्षमता से अधिक लकड़ी होना पाया गया। मौके पर विजय शर्मा के साथ कई कर्मचारी आरा मशीन पर मिले। आरा मशीन परिसर में विभिन्न प्रकार की प्रजातियों की लकड़ी मिली हैं, जिसे जप्त कर पंचनामा बनाया गया हैं। जिसमे बबूल, नीम ,शीशम, प्रोसेस जैसी कुल करीब दो सौ बीस नग मिले हैं।

मौके पर नीम की लकड़ी चिरी हुई और सूखी लकड़ी कटी हुई के कुल 220 नग पाए गए है। मौके पर पांच पत्ती, एक हाथ कटिंग मशीन तथा 36 इंच आरा मशीन का चक्का मशीन में लगा हुआ पाया गया है। आरा मशीन भी गहरे गड्ढे में लगी हुई थी । आरा मशीन परिसर में लोडिंग भी रखी हुई थी। जिस पर वाहन क्रमांक एमपी 06 l0 757 अंकित था। जिसमें लगभग 5 कुंटल चिराई लकड़ी भरी हुई थी। मौके पर जप्त कर कार्रवाई की गई है ।आरा मशीन के चक्के को ताला लगाकर सील किया गया तथा वाहन को जप्त कर केंद्रीय डिपो मुरैना में भिजवाया गया है।

मुरैना जिले में देखा जाए तो सालभर में करीब दो या चार आरा मशीनों पर ही कार्यवाही की जाती हैं उसके बाद मामले को शांत कर दिया जाता है।जिले भर में अवैध आरा मशीनों का संचालन किया जा रहा है लेकिन वन विभाग के आला अधिकारी मौन बने हुए हैं। पूरे साल में दो या चार कार्रवाई करके अपनी पीठ थपथपा लेते हैं।एक तरफ सर्दियों में हरी लकड़ियों की कटाई धड़ल्ले से की जाती हैं तो वही दूसरी तरफ कुछ अधिकारी कार्रवाई करने की बजाय सांठगांठ करने में लगे होते हैं।इसलिए लकड़ियों की अवैध कटाई को रोक पाना संभव है। जब तक अधिकारी पूर्ण तरीके से अवैध आरा मशीनों की जाँच नही करेंगे तो हरे भरे पेड़ों की कटाई निरंतर जारी रहेगी।

जिले में अवैध आरा मशीन संचालित है लेकिन आज एक आरा मशीन पर ही कार्रवाई  रोकना कहीं न कहीं सवालियां निशान खड़ा करती हैं।आरा मशीन वालों का कहना हैं कि जिले में कई अवैध आरा मशीन संचालित है उन पर अधिकारी कोई कार्यवाही क्यों नही करते हैं।बल्कि हमारी मशीन तो वैध हैं।फिर भी अधिकारियों के द्वारा कार्यवाही की जा रही हैं ।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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