चाइल्डलाइन प्रदीपन संस्था ने बालदिवस के अवसर पर चलाया हस्ताक्षर अभियान, लोगों ने बढ़ चढ़कर लिया हिस्सा

बैतूल, वाजिद खान। जिले में चाइल्डलाइन से दोस्ती सप्ताह मनाया जा रहा है। चाइल्डलाइन से दोस्ती सप्ताह के दूसरे दिन  बालदिवस के अवसर पर बच्चों की सुरक्षा को लेकर  चाइल्ड लाइन प्रदीपन संस्था बैतूल ने  कोठी बाजार बस स्टैंड एवं जिला चिकित्सालय में दो सैकड़ा यात्रीयों, कंडेक्टर ,ड्राइवर एवं मरीजो के साथ हस्ताक्षर अभियान चलाया। साथ ही उनसे बच्चों की सुरक्षा के लिए संकल्प दिलवाया।

अभियान में शामिल लोगों ने कहा कि हम बच्चों की सुरक्षा के लिए आगे आएंगे और जब भी कोई बच्चा मुसीबत में दिखेगा उसकी मदद के लिए चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 एंव डायल 100 पर कॉल कर जानकारी देंगे, जिससे बच्चों को तत्काल सुरक्षा मिल सकेगी, साथ ही चाइल्डलाइन के माध्यम से उनकी उचित व्यवस्था भी हो सकेगी।

बता दें कि चाइल्डलाइन इंडिया 1098 देश का गैर सरकारी संगठन है। चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन बच्चों के हितों की रक्षा के लिए चौबीसों घंटे चलने वाली एक ऐसी दूरभाष सेवा है जो पूरी तरह से निःशुल्क। चाइल्डलाइन इंडिया अनाथ और निराश्रित और स्कूल न जा सकने वाले गरीब बच्चों की मदद करती है। साथ ही यह उनकी शिक्षा का भी पूरा प्रबंध करती है। यह संस्था अपने कार्यों के लिए लोगों से दान के जरिए पैसे जमा करती है। बता दें कि इसे साल में औसतन दो लाख से ज्यादा फोन किए जाते हैं। अधिकांश फोन बाल श्रम से छुटकारा दिलाने के लिए किया जाता है।

 

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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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