बैतूल पहुंचे दिग्विजय सिंह, कहां- मोदी जी की मानसिकता है कि ‘मैं कहूंगा वो सही , बाकी सब बेकार है’

बैतूल, वाजिद खान। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आज कहा कि कृषि कानूनों को लेकर मोदी जी को जिद छोड़ देनी चाहिए । लेकिन मोदी उस मानसिकता के व्यक्ति है जो मैं कहूंगा वो सही बाकी सब बेकार है। लेकिन विश्वास है कि वे जिद छोड़ेंगे और तीनो कानून वापस लेंगे। दिग्विजय सिंह ने इन कानूनों के लिए ज्वाइंट सलेक्ट कमेटी बनाकर कानून पास करने की वकालत की है। बैतूल में दिवंगत कांग्रेस विधायक विनोद डागा को श्रद्धा सुमन अर्पित करने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री ने मीडिया से चर्चा में कहा कि यह समझना पड़ेगा कि आखिर ये कानून क्यो लाये है।

इस देश मे 12 से 15 लाख करोड़ का कृषि मार्किट है। जिस पर अंतरराष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियां मार्केट में आना चाहती है। इसलिए सरकार अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम को अप्रभावी किया है। इसे पंजाब हरियाणा के किसान समझते है। हम एमपी में किसानों को जागृत करेंगे। उन्होंने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि देश के 50 से 60 प्रतिशत लोग खेती पर निर्भर है । उनकी अनदेखी नही की जा सकती।अगर सरकार को कानून लाना था तो उसे सलेक्ट कमेटी में चर्चा कराना था। दलों से चर्चा और समन्वय के साथ कानून बनाया जाना था। लेकिन मोदी उस मानसिकता के व्यक्ति है, जो मैं कहूंगा वही सही है, बाकी सब बेकार है। दिग्विजय सिंह ने एमएसपी के सवाल पर कहा कि यह सिर्फ भ्रम है कही भी एमएसपी नही मिल रहा।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।