Rajdeep Sardesai का गौरव भाटिया ने वीडियो किया वायरल, जिसमें सरदेसाई किसान बिल का नाम Google करते पाए गए

नई दिल्ली,डेस्क रिपोर्ट। इंडिया टुडे (Indian Today) के पत्रकार राजदीप सरदेसाई (Rajdeep Sardesai) आए दिन भाजपा (Bjp) को लेकर दिए गए अपने बयानों के चलते चर्चाओं में रहते हैं। एक बार फिर राजदीप सरदेसाई (Rajdeep Sardesai) चर्चाओं का विषय बने हैं। इस बार राजदीप सरदेसाई (Rajdeep Sardesai) अपने ही शो में गौरव भाटिया (Gaurav Bhatia) द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब नहीं देने के चलते ट्विटर (Twitter) पर ट्रेंड कर रहे है। दरअसल गौरव भाटिया (Gaurav Bhatia) ने राजदीप सरदेसाई (Rajdeep Sardesai) से किसान बिल के नाम पूछे थे जो कि वह बता नहीं पाए।

दरअसल बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया से राजदीप सरदेसाई ने अपने शो के दौरान सवाल किया कि ऐसी क्या जरूरत पड़ गई थी जो कृषि कानून को इतने जल्दी में लाया गया, जिस पर राजदीप सरदेसाई के ज्ञान पर सवाल उठाते हुए गौरव भाटिया ने कहा कि आप जैसा सीनियर एंकर इस कृषि बिल के नाम नहीं बता सकता, जिस पर सरदेसाई ने पलटवार करते हुए कहा कि मैं तीनों बल के नाम बता सकता हूं, तो गौरव भाटिया ने कहा कि हां बता सकते हैं पर गूगल करके। गौरव भाटिया और राष्ट्रीय सरदेसाई का यह वीडियो ट्विटर पर जमकर वायरल हो रहा है। साथ ही ट्विटर पर राजदीप ट्रैंड कर रहा है। राजदीप सरदेसाई का किसान बिल गुगल करने वाला वीडियो गौरव भाटिया द्वारा अपने ट्विटर हैंडल से शेयर किया गया है, जिसके बाद से लोग राजदीप को ट्रोल कर रहे है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।