घर बैठे मिलेगा माता वैष्णो देवी का प्रसाद, गृहमंत्री ने किया श्राइन बोर्ड के फैसले का स्वागत

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कोरोना काल में माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड माता रानी के भक्तों के लिए एक नई सौगात लेकर आई है, जिसके तहत श्रद्धालु घर बैठे ही माता रानी का प्रसाद अपने घर मंगवा पाएंगे। श्राइन बोर्ड द्वारा लिए गए इस फैसले को लेकर प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने  सहमति जताते हुए बोर्ड के फैसले का स्वागत किया है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट के जरिए अपनी सहमति जताई।

गृहमंत्री ने अपने ट्वीट पर लिखा कि माता वैष्णो देवी का प्रसाद अब डाक विभाग स्पीड पोस्ट से श्रद्धालुओं के घर तक पहुंचाएगा। इस सुविधा के लिए वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड और डाक विभाग का समझौता स्वागत योग्य है। इससे #coronavirus काल में भी माता का प्रसाद और आशीर्वाद भक्तों को सुलभ होगा।

श्रद्धालुओं तक घर बैठे प्रसाद पहुंचाने के लिए श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने डाक विभाग के साथ टाइअप किया है, जिसकी जानकारी श्राइन बोर्ड द्वारा 29 अगस्त यानी कि शनिवार को दी गई। समझौते के तहत डाक विभाग बिना लाभ- हानि के माता वैष्णो का प्रसाद श्रद्धालुओं के घरों तक पहुंचाएगा। इस प्रसाद को SMVDSB की वेबसाइट से बुक किया जा सकेगा। इसके अलावा 9906019475 पर कॉल करके भी इस सुविधा का लाभ श्रद्धालु उठा सकते है।

बता दें किकोरोना वायरस के फैलते संक्रमण को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा माता वैष्णो देवी मंदिर को बंद कर दिया गया था, जिसको 16 अगस्त में दोबारा खोला गया। फैलते कोरोना संक्रमण को देखते हुए श्रद्धालु मातारानी के दर्शन के लिए पहुंच नहीं पा रहे है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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